YOGA BENEFIT OF ANY DISEASE

   योग ही जीवन है और जीवन ही योग है। 
                   आज के भौतिक भोगी जीवन ने आम जनमानस को इतना रोगी बना दिया है कि अपने परिवार का हर सदस्य लगभग-लगभग किसी न किसी रोग से पीड़ित है। रोग छोटा हो या बड़ा रोग ,रोग होता है। इस जीवन में जब तक भोग है तब तक रोग है। 
                          रोग का नाश करने के लिए ही हमारे ऋषियों ने आहार -विहार के नियम बनाकर और तरह-तरह की आयुर्वेदिक औषधियों की खोज करके मानव जाति के लिए उत्तम उपहार तो दिया ही है और एक ऐसी विधि भी हमारे लिए बताया जो कि सम्पूर्ण मानव जाति के सर्वोत्तम उपहार के रूप में योगासन-प्राणायाम को स्थापित किया है। 
            पूर्व के ऋषियों को शायद यह भान था कि आने वाला समय स्वास्थ्य की दृष्टी से लोगों के लिए इतना कष्टमय होगा कि आम जनमानस अपने रोगोपचार के लिए दर -दर भटकेगा,और कुछ तो इतने निर्धन होंगे कि अपने रोग के निदान हेतु अर्थ (धन )के अभाव में दम तोड़ देंगे। इसलिए बिना किसी भेद-भाव के एक ऐसी पद्धति का उन्होंने विकास किया जिसे योग का नाम देकर समस्त जनकल्याण के लिए उपयोगी बना दिया। 

         किन्तु योग तो व्यक्ति को अध्यात्म की ऒर ले जाता है ,इन्हीं कारणों से उन लोगों ने योग के अन्तर्गत स्वास्थ के लिए योगासन एवं प्राणयाम को जनहित के लिए हितकर बताया। 
              योगासन और प्राणायाम किस-किस रोग में तथा कौन-कौन सा योगासन और प्राणायाम करना चाहिए उसके बारे में भली -भाँति निम्न प्रकार से उल्लेख द्धारा समझते हैं। 

व्यायाम और योगासन में अंतर् -
1 -व्यायाम (कसरत ) शरीर के बाहरी अंगों को पुष्ट करता है जब कि योगासन शरीर के आन्तरिक और वाह्य दोनों अंगों को पुष्ट करता है। 
2 -योगासन करने में श्वांस क्रम का विशेष ध्यान रखना पड़ता है जब कि व्यायाम करने में श्वांस क्रम की कोई बाध्यता नहीं रहती। 
3 -व्यायाम अधिकतम समय तक किया जा सकता है लेकिन योगासन का समय सीमा और क्रम बिल्कुल निश्चित होता है। 
4 -योगासन के लिए समतल स्थान और प्राकृतिक रूप से सुरम्य एवं खुला होना चाहिए ,किन्तु व्यायाम करने हेतु ऐसे स्थानों का चयन आवश्यक नहीं है। 
5 -व्यायाम वाह्य भौतिक वस्तुओं एवं शरीर के माध्यम से किया जाता है लेकिन योगासन करने के लिए मात्र शरीर के माध्यम से ही होता है। 
6 -योगासन करने का समय निश्चित होता है जब कि व्यायाम करने के लिए ऐसी कोई विशेष बाध्यता नहीं है। 
7 -व्यायाम करने ले लिए भूमि या फर्श पर कुछ आसनी या कुछ भी बिछाना आवश्यक नहीं है ,जब कि योगासन करते समय बिना आसनी के करना हानिकारक है। 
8 -योगासन करने हेतु किसी भी भारी और वाह्य वस्तु को माध्यम नहीं बनाया जाता है ,किन्तु व्ययाम करते समय वाह्य वस्तुओं और भारी साधनों का भी सहारा लेना पड़ता है। 
9 -यदि योगासन और प्राणायाम करते -करते अभ्यास छूट जाये तो भी बृद्धावस्था में शरीर  को कोई समस्या नहीं होती है किन्तु ब्यायाम करते करते ब्यायाम का अभ्यास छूट जाय तो बृद्धावस्था में शरीर को अनेक समस्याएं होने लगती है।  


योगासन का मूल अर्थ -
             योगासन दो शब्दों से मिलकर बना है योग +आसन =योगासन। 

योग और आसन क्या है ?-
             योग का गूढ़ अर्थों में बहुत ही व्यापक संबन्ध है। योग एकल नहीं है अपितु योग को तब योग कहा जाता है जब किन्हीं दो का परस्पर सम्मिलन हो तब वह योग है। जैसे कि आत्मा का परमात्मा से तादात्म्य स्थापित हो जाय। 

आसन -
        शरीर की कोई भी क्रिया श्वांसों के लयबद्ध क्रम में निश्चल और बिना  कम्पायमान हुए शरीर को स्थिर रखना ही आसन है। उपर्युक्त प्रकार से पूर्ण की गई क्रिया ही योगासन है। 

प्राणायाम क्या है ?-
           प्राणयाम भी दो शब्दों से मिलकर बना है प्राण +आयाम अथार्त अपने प्राणों को लम्बा (आयाम )खींच देना ही प्राणायाम है।  

जिस प्रकार से योगासन करने के लिए प्रमुख रूप से चौरासी योगासनों को ही सम्मलित किया जाता है उसी प्रकार से प्राणायाम करने के लिए अनेको प्राणायाम में से केवल सोलह प्राणायाम को ही विशेष महत्वा दिया गया है। 

रोगानुसार योगासन और प्राणायाम ----

1 ---तनाव (टेंशन )== यदि किसी प्रकार का मानसिक तनाव हो तो शवासन ,बिश्रान्तिदायक अभ्यास , सगर्भ प्राणायाम या ॐ प्राणायाम एवं ध्यान अवश्य करें।  

2 -थकान -शरीर में किसी भी प्रकार से थकावट हो तो योगासनों में शीर्षासन ,सर्वांगासन ,और प्राणायाम में सुखपूर्वक प्राणायाम एवं सन्मुखी मुद्रा करना चाहिए। अंत में ध्यान अवश्य करें। 
3 -अनिद्रा -सूर्यनमस्कार ,शीर्षासन ,सर्वांगासन ,मत्स्यासन ,आदि योगासनों के साथ अनुलोम-विलोम प्राणायाम तथा शवआसन करें। 
4 -सर्दी-जुकाम -किसी भी कारण से सर्दी -जुकाम हो जाय तो नेति क्रिया करनी चाहिए ,सूत्रनेति या जलनेति दोनों भी कर सकते हैं या कोई एक नेति भी कर सकते हैं। 
5 -गठिया -वात रोग-वात रोग 80 प्रकार के होते हैं। किस व्यक्ति को कौन सा वात का रोग है यह अनुमान लगाना थोड़ा कठिन है ,फिर भी इनमें से किसी भी प्रकार का गठिया-वात हो तो अर्धमत्स्येन्द्र आसन,हलासन ,सूर्य नमस्कार ,एवं वज्रासन कारण चाहिए। विश्रांति अभ्यास भी करें ,इस रोग में कोई भी ठंडा आहार न लें ,
6 -स्त्री रोग (मासिक धर्म )-औरतों का बल औरतों के मासिक धर्म में छिपा होता है। यदि प्रथम मासिक धर्म के समय से ही किसी प्रकार की बदपरहेजी हो जाय तो स्त्रियों को जीवन भर एक नहीं अनेक रोगों का सामना करना पड़ता है। सर्वाधिक औरतें यही गलती करती हैं कि मासिक धर्म के समय 5 दिनों तक ठंडा आहार ,गरिष्ट आहार ,तैलीय आहार लेने से और 5 दिनों के अंदर ही स्नान करने से उनकी समस्या सदैव के लिए दुःख दायी हो जाती है,इन सब समस्याओं से बचने के लिए सर्वांग आसन ,हलासन ,शलभासन ,धनुरासन ,वपरीतकर्णी मुद्रा ,व कपालभाति तथा अनुलोम- विलोम प्राणायाम करें। 
7 -चेहरे की थकान हो तो -शीर्षासन ,सर्वांग आसन ,योगमुद्रासन ,मयूरासन ,अनुलोम-विलोम प्राणायाम आदि करें और गुन - गुने जल से चेहरे को धोया  करें।  
8 -शारीरिक विकृति होने पर -सूर्य नमस्कार और संतुलन आसन के साथ ही साथ जिस अंग में विकृति हो उस अंग का विशेष योगासन करना चाहिए। 
9 -नेत्र रोग में -नेत्र का कोइ भी रोग हो तो जलनेति या सूत्र नेति करना चाहिए और अपने नेत्रों को चरों ओर घुमाना चाहिए। इसके साथ योगमुद्रासन भी करना चाहिए। 
10 -गले के रोग में -गर्मी के दिनों में अधिक ठंडा आहार लेने से गले के रोग होते हैं या किन्हीं भी करने से गले का कोई भी रोग हो तो चार-पांच योगासन कर लेने से रोग का नाश होता है ,इसके लिए जालन्धरबन्ध ,सर्वांगासन ,मत्स्यासन ,भ्रामरी प्राणायाम एवं ओम प्राणायाम अवश्य करें। ( om pranayam  )
नशा मुक्ति हेतु योगासन -मानव पहले व्यसन नहीं करता है। पहले-पहल तो केवल दुर्व्यसन का स्वाद लेता है ,और यही स्वाद बाद में चलकर तरह-तरह के नशा का आदि हो जाता है एवं यही भिन्न-भिन्न प्रकार का नशा पहले तो व्यक्ति करता है और बाद में नशा व्यक्ति को करने लगता है। 
                              जिस प्रकार से दुर्व्यसन धीरे-धीरे पकड़ता है उसी प्रकार से धीरे-धीरे छोड़ने का प्रयास भी करना चाहिए। यदि इतना पर भी नशा न छूटे तो ॐ प्राणायाम ,गायत्रीमंत्र के साथ प्राणायाम ,सूर्य नमस्कार ,सिंहासन  अनुलोम-विलोम प्राणायाम करना चाहिए। 
स्मृति दुर्बल हो -कई कारणों से स्मृति दुर्बल होती है। इसलिए मेधाशक्ति विकासक ,ध्यान ,योगमुद्रासन के साथ मेरुदण्ड को लचीला बनाने वाला हर प्रकार का योगासन प्रतिदिन करें। 

कब्ज या पाचन मंद हो -आज की जीवन शैली इस प्रकार है कि प्र्तेक व्यक्ति के जीवन में यह समस्या एक जटिल रूप में हो गई है। जब इस रोग से पीड़ित लगभग सभी लोग हैं तो सबसे पहले अपने आहार में परवर्तन करें (तला-भुना ,गरिष्ठ आहार ,बाजार का आहार ,न लें )और निम्न योगासन नियमित करें -खाने के बाद केवल 20 मिनट वज्रासन करें ,सुप्तवज्रासन ,मयूरासन ,भुजंगासन ,शलभासन ,धनुरासन ,खाली पेट करें। उड्डियान बन्ध ,अग्निसार क्रिया और कपालभाति भी खाली पेट ही करें। 

 मोटापा के लिए योगासन -
                  आज कल मोटापा भी एक कठिन रोग हो गया है ,इसलिए सबसे पहले तो प्रातः खाली पेट गुन -गुना जल एक कप में एक चम्मच देशी शहद डालकर कर लें और बाहर के आहार एवं तला-भुना ,चिकना आहार न लें। 
      उड्डियान बंध ,त्रिकोड़ासन ,सर्वांगासन ,सेतुबंधासन ,हलासन ,भुजंगासन ,सूर्य नमस्कार के साथ कोई भी प्राणयाम करें एवं कपालभाती भी कम से कम 20 मिनट करते रहें। वात्क्रम कपालभाति, ताड़ासन ,कटिचक्रासन ,त्रिकोड़ासन ,उत्तान पादासन ,पाद वृत्तासन ,पवनमुक्तासन ,धनुरासन आदि भी करते रहें। 
फेफड़ा का रोग (दमा -खाँसी )-फेफड़ा से संबंधित कोई भी रोग हो तो सहज स्थिति तक भस्त्रिका प्राणायाम के साथ कपालभाति ,अनुलोम-विलोम ,अग्निसार क्रिया ,सूर्यनमस्कार ,सर्वांगासन ,मत्स्यासन ,आंजनेयासन ,शवआसन करें और आहार में कोई भी ठण्डा पेय या आहार न लें।   
 क्षय रोग -इस रोग में सबसे पहले तो भस्त्रिका प्राणायाम और ॐ प्राणायाम करें तथा सूर्य नमस्कार एवं शवासन करना चहिये। 
दूषित रक्त को शुद्ध करने के लिए -रक्त कई कारणों से अशुद्ध होता है ,इसको शुद्ध करने हेतु सबसे पहले नाड़ीशोधन प्राणायाम कम से कम 20 -30 मिनट करें और शीतली प्राणायाम ,शीतकारी प्राणायाम ,सर्वांगासन ,शीर्षासन करना चाहिए। 

मानसिक एकाग्रता हेतु योगासन और प्राणायाम -
     मन या मष्तिष्क को एकाग्रचित करना इतना सहज नहीं है ,किन्तु कुछ योगासन और प्राणायाम करके शत-प्रतिशत सफल हो सकते हैं। 
       इसके लिए नाड़ीशोधन प्राणायाम ,करें इसके बाद महाबन्ध या कोई एक बंध का अच्छा अभ्यास करें ततपश्चात ज्ञान मुद्रा या कोई भी मुद्रा में दीर्घ अवधि तक किसी भी आसन में बैठकर ध्यान नियमित 20 -30 मिनट करने से और सात्त्विक आहार लेते रहने से मानसिक एकाग्रता सहज ही सुलभ हो जाती है। 
निर्देश -हठ योग की क्रिया के अन्तर्गत त्राटक क्रिया को एक मिनट से प्रारम्भ कर 10 -15 मिनट निरंतर करना चाहिए। (https://hi.wikipedia.org/wiki)
  
  दाँत रोग और मसूड़े के रोग -दाँत के रोग और मसूड़ों के रोगों में ऑक्सीजन और लौह तत्व की कमी से अनेक रोग हो जाया करते हैं। इन रोगों में कोई भी कारण से कुछ भी रोग हो जाय तो शीतली प्राणायाम ,शीतकारी प्राणायाम ,सूर्य एवं चन्द्रभेदी प्राणायाम के अलावा अर्धहलासन ,योगमुद्रासन ,उष्ट्रासन ,सुप्तवज्रासन ,ताड़ासन ,त्रिकोड़ासन ,सर्वांगासन ,आदि योगासनों को 1 -3 मिनट तक करना चाहिए  और कच्ची प्याज का रस खाली पेट 3 चम्मच प्रतिदिन पीना चाहिए। 
निर्देश -गर्म -ठंडा आहार ,मांसाहारी ,तथा बीज युक्त फल लेने से परहेज करना चाहिए। 
माइग्रेन -अधिक धूल ,तेज धूल अदि कारणों से यह रोग हो जाया करता है और जब माइग्रेन की बीमारी हो जाये तो सबसे पहले ठंडी वस्तु ,फ्रीज की कोई वस्तु ,मीठा ,दूध ,गरिष्ठ आहार कदापि न लें और निम्न  योगासन अवश्य करें -भुजंगासन ,शलभासन ,उष्ट्रासन ,ताड़ासन ,चक्रासन ,भस्त्रिका प्राणायाम ,एवं कपालभाति प्राणायाम प्रतिदिन करते रहें। 
सायनस -जब सायनस के रोगी को क्रिया करने के लिए बताया जाता है तो रोगी को यह ध्यान देना चाहिए कि उसे हिर्दय रोग न हो ,क्यों कि सायनस रोगी को सूत्र नेति या जलनेति नहीं करना होता है। ऐसे लोग जो इससे  पीड़ित हैं उन्हें खाली पेट प्रातः जलनेति और कपालभाति ,अनुलोम-विलोम प्राणायाम 20-20 मिनट करना चाहिए तब यह रोग धीरे-धीरे नष्ट होता है। 

हिर्दयरोग -ऐसे रोगी जो हिर्दय रोग के किसी न किसी रोग से रोगग्रस्त हैं उन्हें प्रारम्भ में तो पद्यासन ,वज्रासन अनुलोम-विलोम प्राणायाम के बाद  कम से कम बीस मिनट शवासन करने से और अर्जुन की छाल का काड़ा या इसी की चाय नियमित पीना चाहिए। 
कमर दर्द -चाहे किसी भी कारण से कमर दर्द हो तो आगे के झुकने से सदैव बचना चाहिए और योगासनों में ताड़ासन ,अर्धचक्रासन ,एकपादयोत्तानासन ,कटिचक्रासन ,सेतुबंधासन ,पवनमुक्तासन ,भुजंगासन ,अर्धशलभासन करें। 
मौसमी या वॉयरल बुखार -यदि बुखार अधिक है तो या हिर्दयरोग हो तब भी इसमें केवल कपालभाति नहीं करना है तथा अनुलोम -विलोम प्राणायाम ,चन्द्रभेदी प्राणायाम ,के साथ बुखार कम रहने पर कपालभाति कर सकते हैं। 
निर्देश -यदि एलर्जी हो तब कुञ्जालगजकर्णी  करें। 
मिर्गी -इस रोग का अब तक स्थाई उपचार किसी भी पैथ में देखा जाय तो केवल आयुर्वेद में मिलता है किन्तु इसमें परहेज बहुत है। यदि योगासन की बात करें तो सर्वांगासन ,भुजंगासन ,उष्ट्रासन ,पश्चिमोत्तासन ,पादा अंगुष्ठासन ,उत्तिठासन ,उत्कटासन ,अनुलोम-विलोम  प्राणायाम और कपालभाति करने से साथ ही साथ कुछ आयुर्वेद की औषधियों का प्रयोग  करने से रोग का शमन हो जाता है।   
गले में किसी प्रकार का संक्रमण ह जाने पर -चाहे जिस भी कारण से संक्रमण हो तो सबसे पहले मिर्च -मसाला ,चिकना आहार ,मदिरा-धूम्रपान आदि करना छोड़ दें और तब कुछ योगासन करें। जैसे भस्त्रिका ,भ्रामरी ,कपालभाति ,वज्रासन ,उष्ट्रासन ,और भुजंगासन अवश्य करें। 
स्पॉन्डिलोसिस -यदि आगे की ओर झुकते हों तो सबसे पहले इससे बचें और ग्रीवाशक्ति विकासक योगासन सहज स्थिति तक करें। 
नेत्र रोग में ग्लूकोमा -किसी भी आसन में बैठकर कमर, रीढ़, गर्दन एक समान सीध में जब हो जाये तब अपने नासा के अग्रभाग पर कम से कम दो मिनट की धारणा dhaarnaaक्रिया करें और नेत्र शक्ति विकासक https://hi.wikipedia.org/wikiभी करें। 
अनिद्रा रोग -अनिद्रा रोग एक नहीं अनेक कारण से होते हैं। यह रोग चाहे जिस भी कारण से हो तो चाय,कॉफी और मादक आहार या पेय न लें तथा निम्न योगासन और प्राणायाम करें-सूर्य नमस्कार ,भुजंगासन ,हलासन ,अनुलोम-विलोम ,चन्द्रभेदी प्राणायाम और कपालभाति प्रणायाम करें। 
किडनी खराब चाहे कितनी भी हो (गुर्दा रोग )-इस रोग में खड़ा होकर कटिचक्रासन ,धीरे-धीरे कपालभाति ,वातकर्मकपालभाति ,पवनमुक्तासन ,सेतुबंधासन ,उल्टा लेटकर भुजंगासन ,अर्धमत्स्येन्द्र आसन ,और अंत में भस्त्रिका और भ्रामरी प्राणायाम करना चाहिए। 
नींद में खर्राटा आये तब -नाक में देशी गाय का देशी घी रात को सोते समय गुन -गुना करके दोनों नासाछिद्र में दो-दो बूंद डालें और जलनेति,सूत्रनेति कुंजलगजकर्णी ,कपालभाति ,उज्जाई प्राणायाम ,सिंहासन आदि करें। 
निर्देश -हिर्दयरोगी ,उच्चरक्तचाप ,पेट का ऑपरेशन जल्द ही हुआ हो तो ऐसे लोग गजकरणी क्रिया न करें और हिर्दयरोगी कपालभाति न करें। 
उच्च रक्तचाप -इस रोग से पीड़ित व्यक्ति चाय ,कॉफी ,मिर्च-मसाला आदि सबसे पहले छोड़कर तब आसन करना प्रारम्भ करें। नाड़ीशोधन प्राणायाम और शीतकारी प्राणायाम करने के साथ शवासन ,मकरासन ,वज्रासन ,शशांकासन ,अवश्य करें। 
निर्देश -अस्थमा ,कफ या नजला -जुकाम वाले रोगी शीतकारी प्राणायाम न करें। 

बच्चों के लिए योगासन -
1 -12 वर्ष से नीचे के बालक-बालिका को भुजंगासन, शलभासन ,धनुरासन ,पश्चिमोत्तासन ,हलासन ,और योगमुद्रासन  करना चाहिए। 
2 -जिन बच्चों को योगासन करना है वह बच्चे सहज स्थिति तक ही करें बलपूर्वक कोई योगासन न करें और खाली पेट करें।

योगासन करने में सावधानी -
1 -यदि मधुमेहं और रक्तचाप के रोगी हों तो योगासन में शीर्षासन और सर्वांगासन कभी न करें। 
2 -यदि हिर्दय रोग कोई भी हो तब उड्डियान बंध और नौली क्रिया कदापि न करें। 
3 -बी पी यदि 150 से अधिक और 100 से कम हो तो डॉक्टर से परामर्श लेने के बाद ही योगासन करना चाहिए। 
4 -यदि कब्ज हो तो पहले थोड़ा -बहुत रेचक औषधि लेकर कब्ज दूर करें और तब योगमुद्रासन और पश्चिमोत्तासन कर सकते हैं लेकिन देर तक नहीं। 
5 -पाचन यदि  कमजोर हो और प्लीहा भी कमजोर हो तब भुजंगासन ,शलभासन ,और धनुरासन न करें। 
6 -सर्दी -जुकाम में नाक बन्द हो तब शीर्षासन या सर्वांगासन सावधानी से करें।
7 -यदि योगासन-प्राणयाम करना है तो पहले योगासन करके और 5 मिनट शवासन  करने के बाद प्राणायाम करें। 
8 -सिरदर्द या कमर दर्द हो तो पवनमुक्तासन करते समय अपना सिर न उठायें। 
9 -योगासन -प्राणायाम दोनों में से कोई भी क्रिया करने के 30 मिनट बाद ही कोई आहार लें। 
10 -महिला का मासिक धर्म चल रहा हो तब मासिक धर्म के छठवें दिन से कोई योगासन और प्राणायाम प्रारम्भ करें। 
11-कोई भी ऑपरेशन हुआ हो तब छह माह बाद ही योगासन-प्राणायाम करें। 12 -योगासन करने के बाद 5 -20 मिनट तकबाद ही  शवासन करने के बाद ही प्राणायाम करना चाहिए। 
13 -शवाशन करके उठते समय शरीर में हल्का कम्पन देकर और बाएं करवट होकर तथा बाएं हाथ पर बल देकर उठना है। 
14 -योगासन -प्राणायाम करने के तीस मिनट बाद ही कोई कार्य एवं कोई आहार लेना है। 
15 -कोई भी योगासन 20 सेकेण्ड से एक मिनट तक करें। 
16-यदि हार्नियाँ हो तब धनुरासन न करें। 
17 -कमर दर्द में भुजंगासन सहज ढंग से करना है। 
18 -शीर्षासन एक मिनट से तीन मिनट तक करना और इसे दोहराना नहीं है। 
19-योगासन करने में पहले लेटकर किया जाने वाला योगासन करना चाहिए और इसके बाद बैठकर किया जाने वाला योगासन करना उचित है। 
20 -लेटकर किया जाने वाला कोई भी योगासन करने के बाद योगासन से उठते समय सदैव बाएं हाथ के सहारे बल देकर बाएं करवट ही उठना है। 
  

           




                          
 
 
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5 टिप्पणियाँ

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Unknown
admin
11 अक्टूबर 2020 को 1:46 pm बजे ×

Aap kee post hamein achee lgee to kintu hamein yogasan kaise karna hay iske baare mein jaankaree khaan se milegee iske lye awshy her btayen .aap ke hm bhut aabharee fhenge

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15 मई 2021 को 6:40 pm बजे ×

कभी कोई प्रश्नचिन्ह आप के लेख पर यदि लगता है तो जो लेख लिख रहे हैं उसमें सुधार करने का एक अच्छा अवसर है आप के लिए

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TimRey
admin
2 जुलाई 2021 को 9:29 am बजे ×

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