फल कोई भी खाया जाय स्वास्थ्य के लिए लाभप्रद है। कुछ फल कच्चा खाया जाता है तो कुछ फल सूखा खाया जाता है। सूखा फल अधिक समय तक रखने से खराब नहीं होता है। इन फलों में कुछ विशेष गुण होते हैं जो कि इन सब बातों से लोग अपरिचित होते हैं इसलिए इनके गुणों को भी जानना है ---------------------------
बादाम -----------
सूखा मेवा खाने में सबसे पहले लोग काजू ,बादाम का ही नाम लेते हैं। बादाम कई रूपों में खाया जाता है ,जैसे बादाम का हलवा बनाकर ,बादाम को रगड़ कर खाना ,आदि। बादाम भारी और गर्म होता है। स्वाद में बादाम मीठा होता है और चिकना होता है। बादाम बलवर्धक और पुष्टिकारक के साथ वीर्य की वृद्धि भी करता है।
काजू -------------
काजू खाने में कई तरह से प्रयोग किया जाता है। काजू की बर्फी बनाकर , काजू की नमकीन बनाकर ,आदि। काजू खाने में हल्का होता है लेकिन प्रकृति इसकी गर्म होती है। काजू वात और कफ को मिटाता है लेकिन वीर्य की बृद्धि भी करता है। यदि उदर रोग में मंदाग्नि , गुल्म , बवासीर आदि रोगो हो तो उनका नाश भी करता है , काजू खाने पर पेट में कृमि का नाश होता है ,बुखार में लाभ करता है आदि। /
छुहारा ------------
छुहारा खाने के लिए सबसे अच्छा तरीका यह है की उसे दूध में उबालकर खाना चाहिए। यदि ठंढक में खाना है तो छुहारा को शहद में एक माह तक डूबा कर रखने के बाद प्रतिदिन एक छुहारा प्रातः खाने से सर्दी नहीं लगती है। छुहारा की प्रकृति शीतल होती है। छुहारा चिकना और भारी होता है। छुहारा खाने से शरीर पुष्ट और वीर्य ,बल की वृद्धि होती है। इसके खाने से वात ज्वर ,रक्त -पित्त तथा उल्टी में लाभ करता है। छुहारा यदि सिमित रूप में खाया जाय तो प्यास ,खांसी एवं सांस रोग में भी लाभ करता है।
अखरोट
अखरोट की प्रकृति गर्म और शीतल होती है। अखरोट खाने के बाद कुछ भारी भी लगता है। अखरोट के खाने से कफ पित्त भी उतपन्न होता है। इसका प्रयोग बलवृद्धि और मलवृद्धि का कारक भी है। यह रक्त दोष को शुद्ध करके रक्त शुद्ध करता है। अखरोट वात शांत और हिर्दय रोग में भी लाभ करता है।
पिश्ता
पिश्ता खाने पर वात-पित्त- कफ का नाश करता है। पिश्ता चिकना तो होता है किन्तु भारी भी होता है। पिश्ता दस्तावर होने के साथ वीर्य की वृद्धि करता है और रक्त को शुद्ध करता है एवं वात और गुल्म में भी लाभ करता है।
चिरौंजी
चिरौंजी की प्रकृति अम्मल कारक है और भारी है। यह मल को रोकती भी है। कफ उतपन्न करने के साथ वीर्य की भी वृद्धि करती है। यह वातनाशक और दस्तावर भी है। इसके खाने से पित्त जलन एवं बुखार में विशेष लाभ होता है। चिरौंजी बलवर्धक और क्षयरोग में लाभ के साथ ही साथ रक्त विकार में भी लाभ करती है।
तालमखाना --
मखाना भी कई रूप में प्रयोग होता है। मखाना का हलवा बनाकर ,मखाना को किसी भी नमकीन में डालकर या केवल मखाना का ही नमकीन बनाकर प्रयोग एवं मखाना को पीस कर दूध के साथ खाना आदि। मखाना चिकना भारी होने के साथ दश्त को रोकता है। मखाना में विशेष गुण यह भी है कि वीर्य को पुष्ट करता है।
मुनक्का
मल को जब भी साफ करने के बारे में या जब भी लोगों को कब्ज होतां है तो मुनक्का के बारे में अधिक लोग सोचते हैं। कब्ज रहने पर रात में मुनक्का भिगाकर प्रातः खाने से या रात में दूध के साथ लेने से भी कब्ज में मुनक्का लाभ करता है। मुनक्का प्यास को रोकता है और बल तथा वीर्य की वृद्धि भी करता है।
अंजीर
अंजीर भारी और शीतल प्रकृति की होती है। यह वात-रक्त-पित्त का नाश भी करती है। यदि सिर में पीड़ा हो तो उसमें भी लाभ करती है। किसी भी कारण से यदि नाक से खून बह रहा हो तो इसके प्रयोग से रक्त का गिरना तुरंत बंद हो जाता है। यह पाचक तो है किन्तु आमवात भी इसके प्रयोग से पैदा होता है।
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