बतास रोग के दो उपाय , बतास रोग का इलाज

जब ठण्ड का मौसम शरू होता है तो अधिकतर लोगों को बतास अधिक सताने लगता है। यद्यपि बतास रोग किसी भी मौसम में हो सकता है लेकिन ठण्ड के मौसम में अधिक होता है। जब ठण्ड का मौसम नहीं रहता है तो उस समय पानी में अधिक काम कर देने से भी ठण्ड के असर से बतास रोग उतपन्न हो जाता है। रोग कोई भी हो दुःखदायी  होता है। जब बतास हो तो उसके लिए कुछ उपचार कर के रोग को दूर कर सकते हैं। 
बतास रोग होने के लक्षण 
1 -जब भी बतास रोग   होता है तो शरीर के जिस अंग में बतास होगा उस अंग में सूजन पहले तो थोड़ी होगी फिर धीरे-धीरे सूजन अधिक हो जाती है और प्रभावित स्थान पर हल्का लाल भी कभी-कभी हो जाता है। 
2-इस रोग के प्रभावित स्थान पर शुरू में तो कम दर्द रहता है परन्तु बाद में अधिक दर्द होने लगता  है। 
3 - कोई भी कार्य करने पर सूजन और दर्द बढ़ भी जाती है और आगामी भयंकर रूप धारण कर लेती है। 
बतास रोग के कारण -1 -यदि पहले से ही कोई पुरानी चोट शरीर के किसी भी जोड़ वाले अंग पर लगी हो और  चोट का उपचार करने के समय यदा-कदा दवा न लेना या बीच-बीच में दवा लेकर फिर बन्द कर देना और फिर दवा करना या प्रभावित स्थान का पूरा सही ढंग से उपचार न करना। 
2 -चोट लगे स्थान का अंदर से अच्छी तरह से न पूजना [अंदर से घाव ढंग से न भरना ]
3 -अधिक ठंडी वस्तु के सेवन से या अधिक ठंडा पानी बार-बार पीने से। 
4 -ठण्ड के मौसम में  भी दही-मट्ठा कुछ लोगों को इतना प्रिय लगता है  कि इस मौसम में भी अधिक से अधिक दही - मठ्ठा  खाने से बतास रोग उत्तपन्न होता है। 
5 -परिवार में माता-पिता को यदि पहले से यह रोग रहा है तो इस कारण से भी बतास   होता है। 
6 -कभी भी गिरने या किसी प्रकार से धूस जैसी चोट अंदर हो और ढंग से ठीक न  हुयी हो। 
उपचार -1 -प्रत्येक स्थान पर मिलने वाली ईमली की पत्ती को पानी में उबाल कर उसी पानी से सेंकना चाहिए और इमली की पत्ती को गर्म तवे पर एक चम्मच शुद्ध सरसों का तेल डाल कर उसी के साथ हल्का गर्म कर के बतास वाले स्थान पर गर्म इमली की पत्ती को सूती कपड़े से बाँधना चाहिए। 
2 -अरुष का पता गर्म तवे पर एक चम्मच शुद्ध सरसों का तेल के साथ गर्म कर प्रभावित स्थान पर सूती कपड़े से बाँध देना चाहिए। 
औषधि की मात्रा -ईमली की पत्ती या  अरुष का पत्ता लगभग 50 ग्राम होना चाहिए और यह उपचार सबेरे और सायं दोनों समय करना चाहिए। 
2 -यह उपचार रोग खत्म होने तक करना चाहिए। 

परहेज -उपचार होने तक ठंडी वस्तुएँ और ठंडा पेय का उपयोग न करें और बतास के रोगी व्यक्ति जीवन भर ठंडा आहार या ठंडा पेय कदापि न लें। 

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