कब्ज (CONSTIPATION) 
सभी रोगों का मूल जड़ कब्ज है,और कब्ज का घर केवल पेट है। पापी पेट बहुत कुछ करवाता है इसलिए कहना पड़ता है कि पेट नहीं होता तो आप से भेंट नहीं होता। 
सारा छल -कपट, चोरी ,ठगी, हत्या ,अपरहण आदि अपराध पेट के लिए ही तो किया जा रहा है,और इतना सबकुछ करने के बाद पेट में भक्ष्य -अभक्ष्य सब ठूँसे जा रहे हैं---- ठूँसे जा रहे हैं। 
पेट साफ़ करने के लिए तरह -तरह के चूर्ण नित्य लेने के बाद भी पूरी तरह से किसी का भी पेट साफ़ नहीं हो रहा है.क्यों कि कब्ज पूरा खत्म ही नहीं हो रहा है। आँत और मलाशय में मल वर्षों से और वर्षों तक जमा रहता है क्यों कि जिस प्रकार से पाइप से पानी तो निकल जाता है लेकिन पाइप के अन्दर गन्दगी की एक परत सदैव जमी रहती है ठीक उसी प्रकार से मल त्याग के बाद हमारे आँत और मलाशय की स्तिथि भी वही रहती है...  
इसलिए पेट के रोग का मुख्य कारण भी यही है। जब कि कब्ज का अन्य कारण अनेक है।नियमित रूप से यदि निम्न उपचार किया जाय तो कुछ समय बाद कब्ज रोग का निदान हो जाता है।किन्तु जीवन में कभी भी कब्ज न हो उसके लिए अपने खान-पान की जीवन शैली में भी सुधार करना पड़ेगा अथवा पूर्ण शंख प्रच्छालन किसी विशेष योगगुरु के मार्गदर्शन में प्रतिमाह एक बार किया जाय या स्वयं ही 15 दिन या 1माह में एक बार लघु शंख प्रच्छालन करने से समस्त रोगों का मूल जड़ कब्ज का शमन होगा।       
                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                      
कब्ज होने के अनेक निम्न कारण हैं -
1 -कोई भी आहार अच्छी तरह से न चबा कर खाने के कारण 
2 -अधिक तला -भुना व चिकना आहार लेने के कारण 
3 -भोजन में फाइबर की मात्रा कम होने से 
4 -पानी कम पीने और तरल आहार कम लेने से 
5 -अपने आहार में सलाद और फल कम लेने से 
6 -अपच और अजीर्ण होने पर भी आहार लेते रहने से 
कब्ज के 20 अचूक उपाय -निम्न हैं -------
कब्ज चाहे किसी भी कारण से हो सबसे पहले तो ठोस आहार लेना बंद कर दें और पानी 10 -12 गिलास पीना शुरू करें उसके पश्चात निम्नलिखित औषधि लें एवं कुछ उपचार करें। 
1 -प्योर सूती तौलिया (हैंड टॉवल ) नेचुरल शीतल जल में डूबा कर तथा इसे इतना निचोड़ें कि जब तौलिया में 20 % पानी रह जाय तब लेटकर अपने पेट पर दो मिनट रखें और इसी क्रम से दस बार तौलिया रखें। खाली पेट या भोजन के तीन घण्टे बाद यह क्रिया करें दोनों समय। 
2 -कच्चे बेल का चूर्ण 5 ग्राम भोजन के तुरंत बाद दोनों समय लें। अथवा कच्चा बेल एक गिलास जल में घोलकर प्रातः पियें। 
3 -घर का बना सम मात्रा में हर्रा +बहेड़ा +आँवला (त्रिफला चूर्ण ) एक चम्मच रात को भोजनोपरान्त लें। 
4 -प्रातः खाली पेट नागदोन का एक बड़ा पत्ता दो काली मिर्च के साथ खाकर एक गिलास जल पियें। केवल तीन दिन तक लें या रोग शमन तक। 
5 -नियमित पालक का जूस एक कप खाली पेट सवेरे पियें कब्ज खत्म होने तक।  
6 -करेले का स्व रस तीन चम्मच या करेले का जूस एक कप प्रातः खाली पेट कब्ज टूटने तक लेते रहें। 
7 -गाजर का स्वरस एक कप प्रातः खाली पेट कुछ दिन पियें। 
8 -मौसमी फल का जूस या इसे साबूत ही प्रतिदिन खाएं। 
9 -जो भी हरी मौसमी साग -सब्जी मिले उसे 100 -200 ग्राम प्रतिदिन खाएं और सलाद अवश्य सदैव कहते रहें। (कच्चा खाना है )
10 -प्रातः खाली पेट आंवला का स्वरस तीन चम्मच पीना चाहिए। 
11 -अंकुरित अन्न (मूँग ,चना ,मोठ ,मूँगफली ,मसूर )नियमित खाना चाहिए। 
12 -ठण्ड के समय में अजवायन +गुड़ एक चम्मच या सोंठ +गुड़ एक चम्मच रात को सोते समय गुनगुना जल से लें। 
13 -नियमित प्रातः एक सप्ताह या दस दिन तक नींबू +जल +नमक का एनिमा अवश्य लें। 
14 -प्रातः शौच से पूर्व लघु शंख प्रच्छालन पन्द्रह दिन पर एक बार करें या प्रातः शौच से पूर्व केवल गुनगुना दो गिलास जल पीकर निम्न पाँच आसन नियमित करें। ताड़ासन चारबार ,कटिचक्रासन ,पादहस्तासन ,त्रियक भुजंगासन ,कौआ चालासन ,4 -4 बार करके जब शौच लगे तो शौच जायँ। 
इस क्रिया को नियमित करते रहने से कितना ही पुराना कब्ज हो ख़त्म अवश्य होता है। 
15 -सदैव अपने आहार में मोटे अनाज की रोटी (गेहूँ ,जौ ,चना ,)और चोकर युक्त रोटी खायें।
16 -आँवला +एलोवेरा सम मात्रा में प्रातः तीन चम्मच खाली पेट पीयें।
17 -भींगा चना के छिलके की भूँसी दो चम्मच अपने आहार में लें। 
18 -भोजन भी करें तो उसके चार घण्टे बाद ही कुछ खायें। 
19 -सप्ताह में एक दिन केवल फल पर रहें ,एक दिन केवल फल के जूस पर रहें ,एक दिन केवल छाछ (मठ्ठा )पर रहें। 
20 -जीरा, सेंधा नमक ,के साथ दही चावल आहार में खाएँ। 

 
सावधानी ---------------
1 -कोई भी आयुर्वेद की औषधि लगातार तीन माह से अधिक नहीं लेना चाहिए ,यदि आगे लेना ही रहे तो तीन माह के बाद 15  दिन का अन्तराल के बाद पुनः औषधि ले सकते हैं। 
2 -क्रम एक वाला उपचार जीवन भर कर सकते हैं। 
3 -बीपी यदि लो हो तो करेले का जूस या स्वरस थोड़े दिन ही लें। 
4 -नागदोन विशेष आवश्यक्ता हो तो लगातार 21 दिन से अधिक न लें। 



   
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