BHOJAN SAMAY PANI PINA VISH HAI

भोजन करते समय यदि मध्य  में पानी  पीते है तो वह जल पीना बिष के सामान है , क्योकि जब हमारी जठर अग्नि तीब्र होती है तब हमें भोजन करना चाहिए, तो उस किये हुए भोजन को जठर अग्नि पूरी तरह पचा कर रस ,रज्जा ,मेद ,रक्त ,वीर्य के रूप में पुरी तरह  परिवर्तित कर देती है। जब हम भोजन के बिच में पानी पीते  है तो जठर अग्नि जो तीब्र थी वह बुझने लगती है/ बिलकुल उस तरह सेजैसे   जलती हुयी अग्नि पर पानी डाल  दिया जाय और अग्नि बुझ जाय।  यही क्रिया शरीर के अंदर भी होती है।  इसके कारन अपच ,अजीर्ण , होता है जो आगे चलकर कई उदर रोगो को जन्म देता  है।   इसलिए जब भी भोजन करे तो जल भोजन के बिच में न पिए तथा प्रातः का भोजन सूर्योदय से ४ घंटे के अंदर करना चाहिए तथा रात्रि का भोजन सोने से ३ घंटे पूर्व ही कर लेना चाहिए। 
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