जल ही जीवन है

'ज ल 'अथार्त 'ज 'का अर्थ जन्म से और 'ल 'का अर्थ लय अथार्त मृत्यु से है। आज से ही नहीं अपितु आदि से ही सभी जीवों के लिए 'जल ही जीवन है।जो जन्म से मृत्त्यु तक मात्र जल ही एक आधार है.जल तो सब लोग उपयोग करते हैं ,लेकिन स्नान के समय अनुचित ढंग से जल का प्रयोग होता है।                                                                                        जब कि स्नान करते समय सदैव ताजा जल और सिर के ऊपर से पानी डाल कर नहाना चाहिए। यदि रोगी व्यक्ति है तो हल्का गुन -गुना जल और पहले 'पैर 'पर फिर सिर के ऊपर जल डाल कर स्नान करना सबसे अच्छा है। सर्वाधिक लोग ठण्ड के मौसम में ही गरम जल से स्नान करते हैं ,इससे हमारे शरीर का तापमान असंतुलित हो जाता है जो आगे चलकर सर्दी ,जुकाम ,बुखार ,के रूप में रोग को जन्म देता है।                                                                                    जल अमृत के समान है। इसलिए जल संचय करना और स्वच्छ पीना तथा जल प्रदूषित होने से बचाना हमारा नैतिक कर्तव्य है। आज से क्यों ,अभी से ही  जल का उचित प्रयोग करना सीखें। 
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