LOO SE BACHNE KA ACHOOK UPAY

गर्मी का मौसम आते ही लोग बर्फ का पानी ,पेप्सी ,फ्रूटी ,चिल्ड वाटर ,सत्तू आदि की ओर लोग भागने लगते हैं ,और इतना तेजी के साथ भागने लगते हैं कि यह भी लोग पता करने का प्रयास नहीं करते कि गर्मी के मौसम में हमें कितना ठंडा और क्या -क्या तथा कब-कब लेना चाहिए। उपर्युक्त सब ठंडा आहार लेने पर भी कुछ विसम आहार और विसम दिन चर्या के कारण गर्मी के मौसम में लू लग जाया करती है। लू लग जाने पर समय पर निदान न हो पाने से अतिसार ,बुखार या अन्य बहुत से रोग हो जाया करते हैं। आगे लू लगने के कारण और इससे बचने के उपाय के बारे में तथा कुछ सावधानी का ज्ञात होना  अति आवश्यक है। 
गर्मी में लू लगने का कारण 
                             1 -   गर्मी का मौसम तो अप्रैल माह से ही प्रारम्भ हो जाता है किन्तु आधा अप्रैल के बाद तो उत्तर भारत में इतनी गर्मी पड़ने लगती है कि दिन के 10 बजे के बाद जब भी घर से बाहर निकलना हो तो सिर ढँक कर न निकलना  और पानी की कमी से हमारा शरीर डीहाईड्रेशन का शिकार हो जाता है। 
2 -इस मौसम में जब पच्छिम दिशा से गर्म हवाएं चलती हैं तो इन हवाओं के चपेट में जब लोग आ जाते हैं तो यही लू लगने का मुख्य कारण होता है। 
  3 -गर्मी के मौसम में अधिक तेल-मसाला या चट -पटा आहार भी कुछ लोग लेने से परहेज नहीं करते हैं तो गर्म तापमान होने से भी शरीर की गर्मी अधिक बढ़ जाने से भी लू के चपेट में आना भी कारण बन जाता हैआदि। 
गर्मी के मौसम में गर्मी लगने व लू लगने के लक्षण --
1 -उल्टी या टट्टी का होना या टट्टी बार -बार पतली होना। 
2 -सिर में चक्कर आना या सिर दर्द करना। 
3 -बुखार का होना तथा अंग-अंग टूटना। 
4 -हल्का भोजन लेने पर भी ढंग से न पचना एवं अजीर्ण हो जाना। 
5 -कभी केवल उल्टी होना या कभी केवल टट्टी होना अथवा उल्टी टट्टी साथ होना। 
6 -पेट में मरोड़ एवं पेट में दर्द का होना आदि 
गर्मी और लू से बचने का उपाय एवं सावधानी -
                                                            1 -गर्मी के मौसम में सदैव भरपेट भोजन न करें। 
2 -इस मौसम में प्रति घंटे कम से कम एक गिलास सामान्य जल अवश्य पीयें। 
3 -अधिक ठंडा आहार या अधिक ठंडा पेय कुछ भी न लें। 
4 -तला-भुना एवं मसाला युक्त आहार से अधिक से अधिक बचने का प्रयास करना चाहिए ,
5 -जो भोजन देर से पचता हो उससे परहेज करना चाहिए। 
6 -बाहर के बने सामान न खाएं अपितु घर के बने आहार ही खाते रहें। 
7 -दिन भर 12 से 16 गिलास सामान्य जल अवश्य पीना चाहिए। 
8 -इस मौसम में दही ,लस्सी ,मठ्ठा का उपयोग अधिक से अधिक करें। 
9 -जौ और चने का सत्तू काला नमक के साथ पानी में घोल कर पीना चाहिए। 
10 -सत्तू कभी भी खाना नहीं चाहिए अपितु घोल कर ही पीना चाहिए। 
11 -नीबूं पानी अधिक से अधिक पीना चाहिए। 
12 -पुदीना और जीरा के साथ( आम को उबाल कर या कच्चा आम भून कर )आम का पन्ना बनाकर लें। 
12 -तरबूज ,खीरा, ककड़ी पर ही एक समय रहें तो अधिक अच्छा है। 
13 -ठोस आहार एक समय लें और एक समय तरल आहार लेना चाहिए। 
14 -भोजन में सिरका से बना आहार या भोजनोपरांत एक चम्मच सिरका और चार चम्मच पानी में मिला कर सिरका अवश्य लें 
15 -दाल में हींग का उपयोग सदैव करते रहना चाहिए। 
16 -भोजन में सलाद की मात्रा अधिक होनी चाहिए। 
17 -बेल का रस बनाकर गुड़ या शहद डालकर लेना चाहिए। 
18 -घर से बाहर जब भी निकलें तो एक या दो गिलाश पानी अवश्य पीकर निकलें और सिर भी ढँके रहें। 
19 -नीबूं एवं नमक तथा चीनी का घोल दो-चार बार लेते रहना चाहिए। 
20 -जौ का दलिया या  साबूदाना नमक के साथ पकाकर लेना चाहिए। 
21 -दही या मठ्ठा जब भी लें तो जीरा और काला नमक  मिलाकर लें।                                                                  गर्मी या लू से बचने में विशेष सावधानी -------------
इस मौसम में जब भी घर से बाहर निकलें तो कम से कम दो गिलास पानी पीकर ही बाहर निकलें। यदि धूप में पैदल ,साइकिल या दो पहिया वाहन ,से चल रहें हों तो प्रति 30 मिनट या प्रति एक घंटे पर एक गिलास पानी अवश्य पीते रहें। केवल इतना ही कर लेने से इस मौसम की विभीषिका से पूरे गर्मी भर बच सकते हैं। 

गर्मी के मौसम में गर्मी लगने या लू लगने में कुछ औषधि का प्रयोग 
1 -यदि केवल टट्टी हो रही तो कच्चा केला उबाल कर इसके गूदे को दही में ,धनियां ,हल्दी ,सेंधा नमक ,काली मिर्च के साथ पकाकर देना चाहिए। 
2 -पोस्ता दाना पीस कर इसमें दही मिला कर खाना चाहिए। 
3 -गाय का दही ,गाय का दूध ,एवं चीनी या गुड़ एक-एक पाव में गंगाजल एक पाव और कुआं का जल दो  पाव एवं शहद एक तोला हो ,सब क्रम  से मथ कर तथा मिलाकर एवं पुनः सब एक साथ मथ कर जब-जब भूख लगे तो यही एक-एक गिलास पीना चाहिए। जब तक इस आहार पर रहें तब तक अन्न और जल नहीं लेना है। 
4 -बेल के गूदा को आम की गुठली के साथ पीस कर गुड़ या चीनी मिलाकर लेना चाहिए। 
5 -यदि टट्टी करते-करते शरीर निर्बल हो गया हो तो बेल को आग में पकाकर उसका गूदा  खाना चाहिए। 
6 -गाय का कच्चा दूध एक कप में एक चम्मच नीबूं रस डालकर तुरंत इस प्रकार से पीना है कि दूध फटने से पहले गले के नीचे उतर जाय। 

यदि इस मौसम में में या लू व गर्मी से उल्टी हो तो निम्न औषधि का प्रयोग करें -
1 -बेल और आम की गुठली के रस में शहद मिलाकर पीना चाहिए। 
2 -बेल गूदा और आम की गुठली का काढ़ा बनाकर शहद के साथ लें। 
3 -हरण का चूर्ण शहद के साथ लेना चाहिए। 
4 -काला नमक ,जीरा , काली मिर्च ,चीनी या गुड़ मिलाकर शहद के साथ लें। 
5 -बेल की छाल का काढ़ा बनाकर शहद के साथ लें। 
6 -हरण ,सोंठ ,काली मिर्च ,पीपर ,धनियां ,जीरा ,का सब चूर्ण कर के शहद के साथ लें (सब समान मात्रा में हो )


Previous
Next Post »