गर्मी के बाद वर्षा ऋतु का मौसम आता है और इस मौसम में कई प्रकार के रोग बिन बुलाये मेंहमान की तरह हमारे शरीर में अपना निवास बना लेते हैं। कुछ लोग तो अपने आहार एवं रहन-सहन से भी रोगों को बुला लेते हैं। यदि रोग आ ही जाये तो उससे बचने का उपाय भी अतिआवश्यक है,तथा अपना आहार भी यदि सुधार लें तो इस मौसम में रोग मुक्त रह सकते हैं।
वर्षा ऋतु में वर्जित आहार
खाने को तो बहुत कुछ लोग खाना चाहते हैं किन्तु वर्षा के ऋतु में कुछ खाद्य और पेय वर्जित है जो निम्न प्रकार है।
1 -इस मौसम में कभी भी अधिक ठंडा पेय और खाद्य न लें।
2 -कोल्डड्रिंक ,और चाट-पकौड़ी यह सब आहार नहीं लेना चाहिए।
3 -यदि धूप में से आये हों तो तुरंत जल नहीं पीना चाहिए क्यों कि गर्म ठंडा होने से टॉन्सिल होने की सम्भावना शतप्रतिशत रहती है।
4 -खुला हुआ भोजन न करें तथा खुले में रखा कटा हुआ फल न खाएं।
5 -किसी भी प्रकार का बासी आहार न लें।
6 -वर्षा ऋतु में पकाया हुआ आम और कच्चा तथा खट्टा आम न खाएं।
7 -इस मौसम में सदैव गुनगुना जल पीना हितकर तो है किन्तु चिल्ड वाटर या फ्रिज का पानी पीने से बचें।
वर्षा ऋतु में आहार -
1 -इस मौसम में कददू ,लौकी ,भिन्डी ,परवल ,बोड़ा ,करैला ,तरोई ,सरपुतिया , बैगन ,कुनुरू एवं विशेषकर कलेमुआं का साग खाना अधिक अच्छा है। आस-पास के तालाबों में इस समय पाया जाने वाला साग को करेमुआं के नाम से भी जाना जाता है।
2 -इस समय कुछ फल भी खाएं तो स्वास्थ्य के लिए लाभप्रद है। पपीता ,नासपाती ,अमरुद और विशेष रूप से आम तो अवश्य ही खाएं।
3 -पक्का आम सदैव चूसकर खाना लाभकारी है।
4 -वर्षा ऋतु के आहार में पक्का आम के साथ दूध का सेवन सर्वोत्तम है।
5 -जामुन का फल भी इस समय अपने आहार में सम्मलित कर लें तो स्वास्थ्य के लिए बहूपयोगी है।
6 -लहसुन ,पुदीना की चटनी खाएं तथा नींबू और अदरख का उपयोग भी विशेष गुड़कारी है।
7 -जब वर्षा का मौसम शुरू हो जाता है तो हमें ऐसे आहार चाहिए जो कि सुपाच्य हो जैसे -चावल पुराना खाएं ,पुराने चावल की खिचड़ी खाएं ,पुराना गेहूँ का बिना चोकर निकला आटा की रोटी खाना चाहिए।
8 -अँकुरित अनाज और दलिया ,मूँग ,अरहर दाल ,राई ,सरसों, मक्का आदि खाना अधिक हितकर है।
9 -तेल ,घी से बने पदार्थ और शहद अवश्य ही खाएं।
10 -इस मौसम में जब भी दही अथवा मठ्ठा का सेवन करें तो उसमें काली मिर्च -पीपर -सोंठ सम मात्रा में एवं अजवायन और काला नमक -सेंधा नमक के साथ खाना -पीना विशेष गुड़कारी है।
वर्षा ऋतु में जल कैसे पीयें ?
1 - यद्यपि इस मौसम में सर्वाधिक जल ही दूषित होता है ,इसलिए जब भी जल पीयें तो उबालकर और छानकर ही जल पीने का प्रयत्न करें।
2 -घर और आस-पास का पीने वाला जल यदि दूषित हो और वही जल पीना विवशता हो तो ऐसे 10 लीटर जल में एक मुठठी तुलसी दल और 50 ग्राम फिटकरी के गोले को पानी में 2 -4 बार घुमाकर फिटकरी बाहर निकाल लें और वही जल पीना हितकर है।
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वर्षा जनित रोग
चर्मरोग ----------https://hi.wikipedia.org/charm rog
इस समय वर्षा में भींगने से या बार-बार कीचड़ अथवा गंदा पानी में हाथ- पैर पड़ने से खुजली रोग अधिक होता है.जहां -जहां यह गन्दा पानी लगता है वहां-वहां की त्वच सड़ने लगती है। शारीरिक अंगों में लाल दाने पड़कर त्वचा में सड़न पैदा करते हैं। यदि यह रोग हो ही जाय तो सबसे पहले प्रभावित स्थान पर सरसों तेल गर्म करके लगाएं और नीम की छाल को घिसकर लगायें।
सर्दी -जुकाम- बुखार -खाँसी
यह मौसम कभी गर्म तो कभी ठंडा रहता है। दिन हो या रात ,दोनों समय कभी अधिक गर्म तो कभी अधिक ठंडा होने से सर्दी -जुकाम- बुखार -खाँसी अधिकांश हो जाया करती है।
अन्य रोग -
दाद ,खाज ,फुंसी ,सन्धिशोथ ,हाईब्लडप्रेशर ,दस्त ,हैजा,पेचिस, मलेरिया ,फ़ॉइलेरिया ,गठिया ,कोलाइटिस आदि रोग वर्षा ऋतु में गंदे जल और संक्रमण के कारण होते हैं
सावधानी
1 -रात्रि के समय दही या मठ्ठा न लें।
2 -घर या घर के आस-पास गन्दा पानी इकठ्ठा न होने दें।
3 -जल जमाव वाले स्थान पर कीटनाशक का छिड़काव करें या केरोसिन ऑयल का छिड़काव करें।
4 -खाने -पीने के आहार को मक्खी और मच्छर से बचाएं।
5 -स्नान करने के बाद शरीर को अच्छे से पोंछ लें।
6 -वर्षा में भींगने पर नम और गीला वस्त्र तत्काल बदल लें।
7 -घर में और घर के आस-पास नीम पत्ता जलाना सुनिश्चित करें।
8 -उबटन लगाकर स्नान और तेल मालिश अवश्य करना चाहिए।
नोट
वर्षा ऋतु में हमारे शरीर में वात और कफ अधिक हो जाता है इसलिए इनके समन के लिए कटु आहार(या तीखा आहार -इसके सेवन करने से भूख और पाचन क्रिया सम रहती है ,जैसे मसालों में काली मिर्च आदि। ) क्षारीय आहार(प्रकृति द्धारा उतपन्न आहार सभी फल और सब्जी आदि। ) अम्लीय आहार(यह वह आहार है जो कि मनुष्य द्धारा निर्मित आहार है।) लेते रहना चाहिए। सेंधा नमक और हर्रे चूर्ण का सेवन सम मात्रा में इस ऋतु में करते रहना विशेष लाभप्रद है।
वर्षा ऋतु में वर्जित आहार
खाने को तो बहुत कुछ लोग खाना चाहते हैं किन्तु वर्षा के ऋतु में कुछ खाद्य और पेय वर्जित है जो निम्न प्रकार है।
1 -इस मौसम में कभी भी अधिक ठंडा पेय और खाद्य न लें।
2 -कोल्डड्रिंक ,और चाट-पकौड़ी यह सब आहार नहीं लेना चाहिए।
3 -यदि धूप में से आये हों तो तुरंत जल नहीं पीना चाहिए क्यों कि गर्म ठंडा होने से टॉन्सिल होने की सम्भावना शतप्रतिशत रहती है।
4 -खुला हुआ भोजन न करें तथा खुले में रखा कटा हुआ फल न खाएं।
5 -किसी भी प्रकार का बासी आहार न लें।
6 -वर्षा ऋतु में पकाया हुआ आम और कच्चा तथा खट्टा आम न खाएं।
7 -इस मौसम में सदैव गुनगुना जल पीना हितकर तो है किन्तु चिल्ड वाटर या फ्रिज का पानी पीने से बचें।
वर्षा ऋतु में आहार -
1 -इस मौसम में कददू ,लौकी ,भिन्डी ,परवल ,बोड़ा ,करैला ,तरोई ,सरपुतिया , बैगन ,कुनुरू एवं विशेषकर कलेमुआं का साग खाना अधिक अच्छा है। आस-पास के तालाबों में इस समय पाया जाने वाला साग को करेमुआं के नाम से भी जाना जाता है।
2 -इस समय कुछ फल भी खाएं तो स्वास्थ्य के लिए लाभप्रद है। पपीता ,नासपाती ,अमरुद और विशेष रूप से आम तो अवश्य ही खाएं।
3 -पक्का आम सदैव चूसकर खाना लाभकारी है।
4 -वर्षा ऋतु के आहार में पक्का आम के साथ दूध का सेवन सर्वोत्तम है।
5 -जामुन का फल भी इस समय अपने आहार में सम्मलित कर लें तो स्वास्थ्य के लिए बहूपयोगी है।
6 -लहसुन ,पुदीना की चटनी खाएं तथा नींबू और अदरख का उपयोग भी विशेष गुड़कारी है।
7 -जब वर्षा का मौसम शुरू हो जाता है तो हमें ऐसे आहार चाहिए जो कि सुपाच्य हो जैसे -चावल पुराना खाएं ,पुराने चावल की खिचड़ी खाएं ,पुराना गेहूँ का बिना चोकर निकला आटा की रोटी खाना चाहिए।
8 -अँकुरित अनाज और दलिया ,मूँग ,अरहर दाल ,राई ,सरसों, मक्का आदि खाना अधिक हितकर है।
9 -तेल ,घी से बने पदार्थ और शहद अवश्य ही खाएं।
10 -इस मौसम में जब भी दही अथवा मठ्ठा का सेवन करें तो उसमें काली मिर्च -पीपर -सोंठ सम मात्रा में एवं अजवायन और काला नमक -सेंधा नमक के साथ खाना -पीना विशेष गुड़कारी है।
https://hi.wikipedia.org/varsha ritu
वर्षा ऋतु में जल कैसे पीयें ?
1 - यद्यपि इस मौसम में सर्वाधिक जल ही दूषित होता है ,इसलिए जब भी जल पीयें तो उबालकर और छानकर ही जल पीने का प्रयत्न करें।
2 -घर और आस-पास का पीने वाला जल यदि दूषित हो और वही जल पीना विवशता हो तो ऐसे 10 लीटर जल में एक मुठठी तुलसी दल और 50 ग्राम फिटकरी के गोले को पानी में 2 -4 बार घुमाकर फिटकरी बाहर निकाल लें और वही जल पीना हितकर है।
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वर्षा जनित रोग
चर्मरोग ----------https://hi.wikipedia.org/charm rog
इस समय वर्षा में भींगने से या बार-बार कीचड़ अथवा गंदा पानी में हाथ- पैर पड़ने से खुजली रोग अधिक होता है.जहां -जहां यह गन्दा पानी लगता है वहां-वहां की त्वच सड़ने लगती है। शारीरिक अंगों में लाल दाने पड़कर त्वचा में सड़न पैदा करते हैं। यदि यह रोग हो ही जाय तो सबसे पहले प्रभावित स्थान पर सरसों तेल गर्म करके लगाएं और नीम की छाल को घिसकर लगायें।
सर्दी -जुकाम- बुखार -खाँसी
यह मौसम कभी गर्म तो कभी ठंडा रहता है। दिन हो या रात ,दोनों समय कभी अधिक गर्म तो कभी अधिक ठंडा होने से सर्दी -जुकाम- बुखार -खाँसी अधिकांश हो जाया करती है।
अन्य रोग -
दाद ,खाज ,फुंसी ,सन्धिशोथ ,हाईब्लडप्रेशर ,दस्त ,हैजा,पेचिस, मलेरिया ,फ़ॉइलेरिया ,गठिया ,कोलाइटिस आदि रोग वर्षा ऋतु में गंदे जल और संक्रमण के कारण होते हैं
सावधानी
1 -रात्रि के समय दही या मठ्ठा न लें।
2 -घर या घर के आस-पास गन्दा पानी इकठ्ठा न होने दें।
3 -जल जमाव वाले स्थान पर कीटनाशक का छिड़काव करें या केरोसिन ऑयल का छिड़काव करें।
4 -खाने -पीने के आहार को मक्खी और मच्छर से बचाएं।
5 -स्नान करने के बाद शरीर को अच्छे से पोंछ लें।
6 -वर्षा में भींगने पर नम और गीला वस्त्र तत्काल बदल लें।
7 -घर में और घर के आस-पास नीम पत्ता जलाना सुनिश्चित करें।
8 -उबटन लगाकर स्नान और तेल मालिश अवश्य करना चाहिए।
नोट
वर्षा ऋतु में हमारे शरीर में वात और कफ अधिक हो जाता है इसलिए इनके समन के लिए कटु आहार(या तीखा आहार -इसके सेवन करने से भूख और पाचन क्रिया सम रहती है ,जैसे मसालों में काली मिर्च आदि। ) क्षारीय आहार(प्रकृति द्धारा उतपन्न आहार सभी फल और सब्जी आदि। ) अम्लीय आहार(यह वह आहार है जो कि मनुष्य द्धारा निर्मित आहार है।) लेते रहना चाहिए। सेंधा नमक और हर्रे चूर्ण का सेवन सम मात्रा में इस ऋतु में करते रहना विशेष लाभप्रद है।
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