आजकल लोगों का खानपान ऐसा हो गया है कि अक्सर लोंगो के पेट खराब हो जाया करते हैं। कभी कब्ज ,कभी लूजमोशन की समस्या आम बात हो गयी है। यदि इस प्रकार की समस्या जीवन में हो तो आप के आस-पास मिलने वाली औषधि गूलर इस रोग की अच्छी औषधि है। गूलर के फल 12 महीने {हर समय }अनवरत मिलते रहते हैं। गूलर के फल जब 3 या 5 ग्राम के हों या इस चित्र में दिख रहे फल के आकार के हों और कच्चे हों तो इस फल को काट कर और अच्छी तरह से उबालकर ,खूब मसलकर ,इसमें स्वादनुसार सेंधा नमक मिलाकर अच्छी तरह पके हुए चावल के साथ सबेरे और साँझ {सायं }को खाना चाहिए। गूलर के फल के साथ सावधानी - १ - गूलर का फल छोटा हो और कच्चा हो। २ -गूलर काटकर उसमें रहने वाले छोटे-छोटे कीड़े को महुँ से फूंक कर या कुछ देर धूप या खुले में रख दें तो कीड़े निकल जायेंगे। ३ - गूलर के फल सदैव अपनी मुट्ठी से एक मुट्ठी लेना चाहिए। इसी प्रकार जंगली गूलर भी होता है ,लेकिन जंगली गूलर नहीं लेना चाहिए। जंगली गूलर का पेड़ छोटा होता है और इससे मिलता -जुलता है ,जबकि उपर्युक्त रोग में खाने वाला गूलर का पेड़ अधिक ऊँचा होता है।
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