शरीर में ऐसा कोई रोग हो जाय जिससे व्यक्ति का उठना ,बैठना ,सोना ,खाना -पीना सब कष्टमय हो जाय तो व्यक्ति की जीवन शैली प्रभावित होने लगती है। शरीर में वैसे तो बहुत से रोग हैं ,लेकिन बवासीर किसी को हो जाय तो कुछ दिन लोग दवा करके फिर ऑपरेशन कराने का ही निर्णय लेते हैं। जब कि बवासीर का उपचार लोंगो के आस -पास ही उपलब्ध औषधि 'कुकरौंधा 'इस रोग की अच्छी औषधी है. बवासीर की जानकारी हमें तब होती है जब हम सब को बवासीर एक वर्ष की हो जाती है। जब गुदा से हवा न अच्छी तरह न खुले ,शौच के पश्चात गुदा में हल्की खुजली {चुनचुनाहट }कभी-कभी या बार -बार हो ,शौच करने में गुदा में जलन या काँटा चुभने जैसा मालूम हो ,तो समझिये कि बवासीर शुरू हो गया है। यदि समय पर इसका निदान न किया जाय तो गुदा में पहले राई जैसा दाना होता है ,फिर बढ़ते-बढ़ते मटर या इससे भी बड़ा 'मस्सा 'हो जाता है जो कि 'ऑप्रेशन 'कराने के अलावा और कोइ विकल्प नहीं रह जाता है। इस लिए उपर्युक्त स्थित में से कुछ भी हो तो कुकरौंधा की 5 पाती तजा लेकर और महीन पीस कर तथा छानकर स्वादनुसार काला या सादा नमक मिलाकर सबेरे और शाम लेने से बवासीर कुछ ही दिन में समाप्त हो जाएगी। इस औषधि के प्रयोग के साथ -साथ भोजन में तेल,मसाला ,तला -भुना ,गरिष्ट ,आहार नहीं लेना चाहिए ,अपितु भोजन फाइबर युक्त हो और चावल खूब गला कर लेना चाहिए। साबूदाना 25 ग्राम रात भर का भीगा हो इसे बिना पकाये ही खाना चाहिए। पेय आहार अधिक लेना और बेल का प्रयोग करते रहने से बवासीर का शमन अतिशीघ्र हो जाता है।
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