अक्टूबर के मध्य से ही हल्की -हल्की गुलाबी ठंड की शुरूआत उत्तर भारत में प्रारम्भ हो जाती है। इस माह का मौसम अधिक उतार -चढ़ाव वाला होता है। कभी दिन गर्म तो कभी रात गर्म ,कभी दिन हल्का ठंडा तो कभी रात हल्की ठंडी होती है। मौसम के इस असंतुलन के कारण सबसे पहले वही लोग ठंड के चपेट में आते हैं जिनकी प्रतीरोधक क्षमता कम होती है। यद्यपि मौसम सर्दी का है तो ठंड तो सबको लगेगी ,लेकिन सर्वाधिक परेशान होने वालों में जैविक ताप की कमी होती है। इस सर्दी से बचने के कुछ उपाय करके हम अपने आप को कुछ हद तक बचा सकते है।
1 -गुड़ और सोठ -
गुड़ और सोंठ को सामान मात्रा में लेकर प्रातः खाली पेट और सायं को सोते समय एक -एक चम्मच गुन -गुना पानी से खाना चाहिए। गुड़ और सोंठ अक्टूबर के मध्य से लेकर फ़रवरी के अंत तक सदैव प्रयोग करते रहना चाहिए।
गुड़ और सोठ की मात्रा -
5 ग्राम प्रातः और 5 ग्राम रात को प्रतिदिन लेना चाहिए।
गुड़ और सोठ का अन्य प्रयोग -
गुड़ और सोंठ नियमित लेने से पाचन शक्ति ठीक रहती है और शौच खुल कर होता है।
सावधानी -
गुड़ गन्ने का होना चाहिए ,गुड़ अधिक पुरांना हो तो अच्छा है। गुड़ का रंग "लोहू रंग में या काला रंग का हो" बाजार का पीला रंग वाला या मिलावटी गुड़ नहीं होना चाहिए। सोंठ पूरी तरह चूर्ण करके और छानकर तथा गुड़ में अच्छी तरह मिश्रण करके लेना चाहिए।
ठंड से बचने के और निम्न उपाय -2 -प्रातः और सायं ग्रीन टी और लेमन टी बिना दूध के लेना चाहिए।
ठंड से बचने के और निम्न उपाय -2 -प्रातः और सायं ग्रीन टी और लेमन टी बिना दूध के लेना चाहिए।
3 -अजवायन का 2 -3 पत्ता एक गिलास पानी के साथ खाली पेट लेना चाहिए।
4 -तुलसी का 7 -8 पत्ता ,एक कप चाय में डाल क्र पीना चाहिए।
5 -ठंडक भर सौंफ डाल कर चाय पीना चाहिए।
6 --ठंडक भर देशी शहद एक चम्मच प्रातः ताजा पानी से लेना चाहिए। यदि मोटे व्यक्ति हों तो शहद गुन -गुना जल लेना चाहिए।
7 -सफ़ेद तिल की चटनी का प्रयोग करना चाहिए।
8 -हरी सब्जी का प्रयोग करते रहना चाहिए।
9 -कोई भी हरी सब्जी या फल 200 ग्राम काटकर एक घंटे तक पानी में भिंगाकर और छानकर इस पानी को पीना चाहिए।
गुड़ -


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