ARE THE DREAMS TRUE?स्वप्न सत्य है या असत्य


 स्वप्नों का संसार भी अजब-गजब होता है। स्वप्न सत्य भी होता है और मिथ्या भी। स्वप्न का भी अपना एक अलग संसार है। स्वप्न की सार्थकता व्यक्ति के भावों में विद्यमान रहता है। स्वप्न शुभ भी होता है और अशुभ भी। सार्थक स्वप्न व्यक्ति के भावी भविष्य का दर्पण है। 
स्वप्न के विषय में कुछ लोग अधिक चिन्तित भी रहते हैं और कुछ लोग स्वप्न देखकर हर्ष का अनुभव भी करते है। जिस प्रकार का स्वप्न होता है उसी प्रकार की व्यक्ति की मनोदशा भी हो जाया करती है। 
                स्वप्न, जीवन की विसंगतियों के अनुरूप जीव को तरह-तरह का दृश्य दिखाता है। जिस प्रकार से चन्द्र धवल से आलोकित आकाश में चमकीली किरणें बिखरती हैं ,और अमावश की काली रात निश्तब्ध ,उदास ,सन्नाटे से वातावरण को अपशकुन दोष के आवरण से ढक लेती है ,उसी प्रकार से जीव का जीवन भी स्वप्न से प्रभावित होता है। 
                                     स्वप्न व्यक्ति के जीवन में अकारण ही नहीं आते हैं.स्वप्नों के आने के पीछे भी कुछ-न कुछ कारण छिपा होता है। स्वप्न एक नहीं कई कारणों से आते हैं। इसके विषय में अलग-अलग विद्धानों के अपने भिन्न-भिन्न मत भी हैं। 

परासरसंहिता के अनुसार स्वप्न -
महर्षि परासर जी ने मानव के जीवन में घटने वाली शुभ-अशुभ घटनाओं का अध्ययन करके यह बताने का प्रयास किया कि मानव स्वयं अपने भावी भविष्य के बारे में स्वप्नों पर यदि ढंग से ध्यान दे तो आने वाले कई समस्यों का निदान स्वयं कर सकता है। 
परासरसंहिता से निरर्थक स्वप्न का लक्षण -
1 -यदि स्वप्न कोई दिन में देखता है तो यह स्वप्न निर्रथक है। 
2 -यदि देखा हुआ स्वप्न अधिक बड़ा है तब भी इस का कोई अर्थ नहीं है। 
3 -वयक्ति यदि वृद्ध है तो भी आया हुआ स्वप्न अर्थहीन है। 
4 -अधिक हास के कारण यदि स्वप्न आये तो भी इसका कोई अर्थ नहीं है। 
5 - यदि शोक के कारण स्वप्न आता है तब भी अर्थहीन है। 
6 -क्रोध के कारण भी देखा हुआ स्वप्न का कोई अर्थ नहीं है। 
7 -किसी भी कारण से यदि उत्त्साह हो और इसमें स्वप्न दिखाई दे तो भी इस स्वप्न का कोई अर्थ नहीं निकलता है। 
8 -यदि दिखने वाला स्वप्न निद्रा ,भय ,या भूख -प्यास के कारण आता है तो भी इस प्रकार का स्वप्न व्यर्थ है। 
9 -किसी प्रकार से मल-मूत्र बाधित हो और ऐसे में स्वप्न आता है तब भी इस प्रकार का स्वप्न किसी मूल्य का नहीं होता है। 
10 -शरीर यदि किसी भी प्रकार से रोगग्रस्त है और इस समय कोई भी स्वप्न दिखे तब भी इस समय में दिखाई दिया स्वप्न निरर्थक है। 

स्वप्न कमलाकर के अनुसार स्वप्न का लक्षण -
इस पुस्तक का अध्ययन करने से ज्ञात होता है कि केवल चार प्रकार के ही स्वप्न होते हैं और चारों प्रकार के स्वप्न शुभ हैं। 
     इस ग्रन्थ में दैविक स्वप्न के बारे में बताया गया है कि "जो स्वप्न दैविक कृपा से दिखाई दे वह स्वप्न शुभ होता है", और आगे इनका कहना है कि शुभ-और अशुभ कारणों से भी स्वप्न दिखता है। 
       मंत्र साधना द्वारा भी स्वप्न का आना फलीभूत होता है। 
शुभा-शुभ कारण भी यदि स्वप्न में सम्मिलित है तब भी इस स्वप्न को इन्होंने मान्यता दी है। 

विवेक विलास के अनुसार स्वप्न का लक्षण -
सभी ग्रंथों में स्वप्न के बारे में चाहे जो कुछ भी लिखा है किन्तु परासरसंहिता के समतुल्य इस पुस्तक में भी स्वप्न का लक्षण कुछ -कुछ साम्य रखता है। इसमें नौ प्रकार के स्वप्नों के विषय में बताया गया है। 
1 -किसी भी प्रकार का यदि अनुभव हुआ है और इस अनुभव के कारण स्वप्न दिखता है तो यह स्वप्न भी मान्य है। 
2 -जीव अपने जीवन में बहुत कुछ देखता है ,और कुछ देखने के कारण से आया हुआ स्वप्न भी मान्य है। 
3 -व्यक्ति का जीवन एकांगी नहीं है अपितु भ्रमणशील है ,और तरह-तरह की ध्वनि या बातें भी सुना करता है तथा इन सुनी बातों के फलस्वरूप जो स्वप्न दिखता है उस स्वप्न का भी अर्थ होता है, मान्य भी है।
4 -प्राकृतिक ,स्वाभाविक ,और चिंता के कारण से दिखाई दिया स्वप्न भी सार्थक है। 
5 -देवता के बाधा से ,धर्म के प्रभाव से और अतिपाप के कारण आया हुआ स्वप्न भी अधिक सार्थक होता है। 
विशेष -विवेक विलास के अनुसार उपर्युक्त नौ प्रकार के स्वप्नों में केवल तीन ही प्रकार के स्वप्न सार्थक हैं -अतिपाप से,धर्म प्रभाव से ,देवतादि बाधा से ,और अन्य छह प्रकार के स्वप्न निरर्थक हैं। 
    यदि कोई यह चाहता है कि जो सपना दिखाई दे वह सत्य दिखाई दे तो उसके लिए स्वप्न सिद्धि मंत्र को सिद्ध करना पड़ता है -ओउम हीं हिर्दयाय  नमःमन्त्र को सिद्ध करने से जो सपना व्यक्ति देखेगा वह सत्य होगा। 
                   इस जगत में अनेक ऐसे लोग हुए हैं जिनको कि स्वप्न के माध्यम से ही सफलता मिली है। निम्न महापुरुष को -
तुलसी दास -संत तुलसी दास जी ने जो रामचरित मानस की रचना की है ऐसे ग्रंथ को भगवान शंकर ने स्वप्न में आकर और सरल भाषा में लिखने का निर्देश तुलसी जी को दिए थे। TULSIDAS की प्रसिद्ध कृति रामचरित मानस को पञ्चम वेद भी कहा 
केकुले -परमाणु रचना का ज्ञान रसायन विज्ञान वेत्ता केकुले को स्वप्न में ही ज्ञान हुआ था जो की विश्व प्रसिद्ध हए। KEKUKELE
रामानुजम -महान गणितज्ञ रामानुजम ने जो विश्व को संख्यासिद्धान्त एवं प्रमेय का गूढ़ सूत्र दिया उस सूत्र को रामानुजम ने स्वप्न में ही हल किया था। RAMANUJAM के प्रसिद्ध सूत्र बहुत से हैं। 
सैमुअल टेलर -
       54 पंक्तियों की प्रसिद्ध कविता कुबालाखान को सैमुअल टेलर ने स्वप्न से प्रेरणा लेकर लिखा था। 

अलबर्ट आइंस्टीन -
आइंस्टीन ने तो बहुत से समीकरण इस विश्व की दिया ,किन्तु एक जटिल समीकरण को वैज्ञानिक गोष्ठी में जब उसका हल प्रस्तुत करना था तो वह हल नहीं कर पा रहे थे तब उन्हें वह समीकरण (द्रव्यमान का ऊर्जा समीकरण )स्वप्न के से हल करके वैज्ञानिकों के सामने प्रस्तुत किया। 
EINSTEIN  के समीकरण के विषय में अधिक ज्ञान प्राप्त करें। 
नील्स बोहर -
परमाणु के विषय में जो आज विश्व को ज्ञान प्राप्त है उस परमाणु की खोज नील्स बोहर ने स्वप्न में ही की थी और दुनियां के सामने रखा था। 
स्टीवेन्सन ,कॉलरिज ,ब्लेक ,गेटे -
                   उक्त लेखकों ने अपनी प्रसिद्ध कृतियों का सृजन स्वप्न से ही किया था।  STEVENSON KOLRIJ   BLACK कवियों के बारे में अधिक जानकारी करें। 
बुरे स्वप्न के विषय में वेद मत -
     "यस्त्वा स्वप्नेन तमसा मोहयित्वा निपघते" अथर्ववेद के 20 -96 -16 वें अध्याय में यह वर्णित है कि हमारे अज्ञान और पाप मन के कारण बुरे स्वप्न आते हैं। 
किस समय का देखा हुआ स्वप्न सत्य या असत्य होता है -
उपर्युक्त लेखों के अनुसार स्वप्न किस स्थिति में आता है उसके अनुसार तो स्वप्न सार्थक या निरर्थक होता है, किन्तु कुछ सामान्य रूप से भी स्वप्न दिन या रात में जब आते हैं तो उन स्वप्नों का समय के अनुसार सार्थकता भी स्पष्ट होती है। 
1 -यदि रात को 10 बजे से 1 बजे के बीच स्वप्न देखा जाता है तो वह स्वप्न ,स्वप्न देखने के तीन वर्ष बाद सत्य सिद्ध होता है। 
2 -रात्रि के एक बजे से तीन बजे के मध्य यदि स्वप्न दिखाई देता है तब वह स्वप्न उस दिन से दो वर्ष बाद फलित होता है। 
3 -यदि रात को 3 बजे से 4 बजे तक स्वप्न आता है तब यह देखा हुआ स्वप्न उस रात्रि से एक वर्ष पश्चात सत्य सिद्ध होता है। 
4 -ब्रह्ममहूर्त (चार बजे से पाँच बजे के मध्य )में दिखाई दिया स्वप्न आने वाले छह माह में सत्य फलित होता है। 
5 -भोर के 5 बजे से प्रातः सूर्योदय के कुछ क्षण पूर्व देखा हुआ स्वप्न तत्काल सत्य होता है। 
 
स्वप्न निर्देश--------
1 -अपने आहार -विहार के सयंम द्धारा ही स्वप्न को स्मरण किया जा सकता है। जब जातक स्वप्न देखता है तो वह कुछ समय पश्चात स्वतः ही विस्मृत हो जाता है। 
2 -सत्य स्वप्न का ज्ञान होने हेतु रात्रि में अखण्ड निद्रा भी आवश्यक है। 
3 -सर्व चिंतामुक्त होंगे तभी सत्य स्वप्न दिखाई देता है। 
4 -कभी-कभी रात को जो स्वप्न दिखाई देता है यथार्त जीवन में उस स्वप्न के ठीक विपरीत होता है।(जैसे शुभ दिखे तो अशुभ होगा एवं अशुभ दिखे तो  शुभ होगा)ऐसा इसलिए होता है कि व्यक्ति के क्रोध ,शोक ,घृणा ,भय आदि से ग्रस्त होने के कारण होता है। 
5 - दैनिक दिनचर्या में शुभ -अशुभ घटनाएं घटित होती हैं उनके अनुसार भी रात का स्वप्न प्रभावित होता है। 
      
                      
Previous
Next Post »

1 टिप्पणियाँ:

Click here for टिप्पणियाँ
बेनामी
admin
29 अक्टूबर 2020 को 2:51 pm बजे ×

Aap ke is lekh mein hamein swpn ke Vishy mein adhik jankaree milee kintu jin prasidh longon ko sawpn mein bhut kuch kiya hay unke bare mein jb link par press karte hayn to wikipedea shee se n khul kar kuch aur khulta hay

Congrats bro बेनामी you got PERTAMAX...! hehehehe...
Reply
avatar