हमारे जीवन में आज से ही नहीं अपितु आदि से देशी घी महत्त्व इसलिए है कि ,हमारे भोजन का प्राण देशी घी ही है। देशी घी स्वाद के साथ-साथ बहुत बहुगुड़ी भी है। देशी घी केवल देशी गाय या भैंस का ही लाभ अधिक करता है। आजकल लोग जर्सी गाय का दूध ,घी ,दही ,मक्खन ,खोआ ,छेना ,पनीर ,का उपयोग जो कर रहे हैं ,यह देशी गाय और भैंस की अपेक्षा गुड़ -धर्म में 8 गुना कम है। यदि हम देशी गाय या भैसं का कोइ भी उत्पाद 1 ग्राम उपयोग करते हैं तो जर्सी गाय का कोइ भी उत्पाद 8 ग्राम उपयोग करें तब लाभ करता है। यदि शुद्ध देशी घी है तो उसे हल्का गुन -गुना कर के सोते समय रात में नाक में डालने से 'माइग्रेन ,सिर में ब्लड जमा हो ,साइनस हो ,नींद न आती हो ,नींद में खर्राटे लेते हों ,सर्दी ,जुकाम ,खाँसी हो,नाक की हड्डी बढ़ गई हो ,या सिर में कोइ भी समस्या हो तो दो-चार बूँद नाक में डाल कर सो जाना चाहिए। यदि रोग पुरांना हो तो कम से कम 3 माह तक देशी गाय का देशी घी नाक में डालना चाहिए। सदैव याद रखें कि गाय का घी गर्म करके ठंडा करने पर पीला रंग में होगा ,यदि इस घी में कुछ मिलावट होगा तो घी ठंडा होने पर सफ़ेद हो जायेगा। भैस का घी गर्म करके ठंडा करने पर सफेद होगा ,यदि इसमें कुछ मिलावट होगा तो इसका GHEE ठंडा होने पर सफेद नहीं होगा।
Next
« Prev Post
« Prev Post
Previous
Next Post »
Next Post »
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
ConversionConversion EmoticonEmoticon