भारत में छः ऋतु का मौसम होता है, और इन छः ऋतु के कारण वर्ष भर भारत का मौसम प्रति दो माह पर परिवर्तित होता रहता है, इस कारण यहाँ के लोगों को प्रातः ताजा जल या गुन -गुना जल 2 गिलास पीना चाहिए। प्रातः जल पीने से खुलकर शौच होता है ,इसलिए पेट पुरी तरह स्वच्छ हो जाता है तो किसी भी प्रकार का पेट रोग नहीं होता है। जबकि पच्छिम के देशों का मौसम सदैव लगभग वर्ष भर सर्द रहता है इसलिए वहाँ के लोग प्रातः गर्म पेय टी या कॉफी पीते हैं। हमारे देश के लोग भी प्रातः टी या कॉफ़ी का प्रयोग जब से कर रहे हैं ,तब से यहाँ के लोग अपने अन्दर मधुर विष का पान कर रहे हैं। यदि इस मधुर विष का पान करना लोग त्याग दें तो अनेक उदर रोग से मुक्त हो सकते हैं।
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