पाइल्स एक ऐसा रोग है जो एक दिन में नहीं होता है। जब खान-पान हमारा अनियमित होता है। जीवन शैली लोग अपनी अनियमित कर लेते हैं तो बवासीर होना स्वाभाविक है। आइये जानते हैं कि बवासीर किन-किन कारणों से होता है।
1 -जब लोग भोजन करते हैं तो चार घंटे के पूर्व ही कुछ न कुछ खा लेते हैं, तो हमारे भोजन को पचाने के लिए जो जठराग्नि पहले किये हुए भोजन को पचाती वह अग्नि पहले को छोड़ कर दूसरी बार किये आहार को पचाने में लग जाती है। इस कारण हमें अपच होना शुरू हो जाता है ,और यही अपच अजीर्ण के रूप में हमें धीरे -धीरे रोगी बना देता है।
2 -जब लोग अजीर्ण में ही कुछ आहार ले लेते हैं तो फिर पेट में गैस बनने लगती है। पेट की यह गैस हमारी शौच की क्रिया को बाधित कर के कब्ज की तरफ धकेल देती है।
3 -अब लोगों को बराबर कब्ज रहते हुए भी अपने आहार में गरिष्ट ,तला-भुना ,मसालेदार भोजन का यदा-कदा या आधुनिक जीवन शैली में प्रतिदिन प्रयोग करते रहने से कब्ज के रोगी हो जाते हैं।
4 -अब यही कब्ज लोगों को बवासीर के रूप में सामने आकर समय पर रोग निदान न होने से भकन्दर का रूप ले लेता है-
बवासीर होने की पहचान -1 -पहले लोगों को भोजन ढंग से नहीं पचेगा।
2-पचने में देर और पच जाने पर खुलकर गुदा से हवा नहीं खुलेगी
3-मलत्याग के समय गुदा में खुजली या हल्की चुन-चुनाहट होगी।
4 -कभी मल के साथ रक्त या मलत्याग के अंत में रक्त या मल के एक किनारे से एक पतली रक्त की रेखा के साथ मल आता है।को आग 5 -आहार नाल के सूखने के कारण मल कड़ा -कड़ा होता है।
6 -कड़ा मल होने के कारण सहज ढंग से मलत्याग न हो पाने से गुदा में सूजी के रवा के बराबर दाना निकलना।
7 -गुदा में दाना विकसित होकर मस्सा के रूप में होना और मलत्याग अधिक कठिनता से होना।
8 -प्रेशर बनने के बाद भी सहज ढंग से गुदा से हवा का न निकलना।
9 -गुदा में काँटों सी चुभन या जलन का होना।
उपचार और सावधानी -१-नारियल जटा को आग से जलाकर जब पूरी राख बन जाय तो एक ग्राम नारियल जटा की राख और एक गिलास ताजा मटठा के साथ पीना।
2 - एक ग्राम उक्त राख और एक गिलास मटठा लगातार तीन दिन लेना।
३ -उक्त औषधि लेने के दो घंटे बाद ही कुछ आहार लेना।
४ -मटठा देशी गाय या भैंस का हो ,जर्सी गाय का ना हो।
5-सदैव सुपाच्य भोजन लेना और तला-भुना ,गरिष्ठ भोजन व मसालेदार आहार से परहेज।
६-नारियल जटा और मटठा की चिकित्सा 15 दिन या 30 दिन के बाद ही दोहराना चाहिए।
नोट -इस चिकित्सा को एक ही बार करने से बवासीर धीरे-धीरे खत्म होने लगता है ,इसलिए इसे पुनः दोहराने की आवश्यकता नहीं पड़ती है।
7 -गुदा में दाना विकसित होकर मस्सा के रूप में होना और मलत्याग अधिक कठिनता से होना।
8 -प्रेशर बनने के बाद भी सहज ढंग से गुदा से हवा का न निकलना।
9 -गुदा में काँटों सी चुभन या जलन का होना।
उपचार और सावधानी -१-नारियल जटा को आग से जलाकर जब पूरी राख बन जाय तो एक ग्राम नारियल जटा की राख और एक गिलास ताजा मटठा के साथ पीना।
2 - एक ग्राम उक्त राख और एक गिलास मटठा लगातार तीन दिन लेना।
३ -उक्त औषधि लेने के दो घंटे बाद ही कुछ आहार लेना।
४ -मटठा देशी गाय या भैंस का हो ,जर्सी गाय का ना हो।
5-सदैव सुपाच्य भोजन लेना और तला-भुना ,गरिष्ठ भोजन व मसालेदार आहार से परहेज।
६-नारियल जटा और मटठा की चिकित्सा 15 दिन या 30 दिन के बाद ही दोहराना चाहिए।
नोट -इस चिकित्सा को एक ही बार करने से बवासीर धीरे-धीरे खत्म होने लगता है ,इसलिए इसे पुनः दोहराने की आवश्यकता नहीं पड़ती है।
ConversionConversion EmoticonEmoticon