लोगों काआज कल आहार ही ऐसा हो गया है कि अधिकतर लोग कब्ज जैसी भयंकर बीमारी से ग्रसित हैं। किसी के भी परिवार में ऐसा कोई व्यक्ति नहीं है जिसे कि कब्ज न हो। कोई भी रोग बाहर से नहीं आता लोग उसे स्वयं पैदा करते हैं। अपने आहार में जब लोग विषम आहार या अनियमित ढंग से आहार करने लगते हैं तो कब्ज होने लगा है।
कब्ज होने का कारण
१-हम लोग जब भोजन करते हैं तो किया हुआ भोजन ४-५ घंटे अमाशय में ही रहता है और इसी समय यदि कुछ आहार लेते हैं तो पहले किया हुआ भोजन पूरी तरह न पच पाने के कारण 'आम 'बन जाता है ,और यही 'आम 'जब जीर्ण के रूप में हो जाता है तो आमाजीर्ण हो जाता है ,तो इस कारण कब्ज होता है।
२-आमाजीर्ण होने पर भी जब लोग कुछ न कुछ आहार लेते हैं तो पुनः किया हुआ भोजन आँतो में सड़ता है ,इसके सड़ने से आँत व् शरीर में अनेक विषैली गैसों का उदभव होने के कारण कब्ज होता है।
३- भोजन सड़ने से मलत्याग कठिनता से होगा।
४-मलत्याग करने के लिए आँतों की गति मंद होने के कारण मल धीरे-धीरे आगे बढ़ता है और मलाशय में मल अवरूद्ध होने के कारण जब लोग शौच के समय बल देकर मलत्याग करते हैं तो
बवासीर होने का शत -प्रतिशत अवसर अपनी आँतों को लोग देते हैं।
५-अधिक गरिष्ठ भोजन करना और तेल-मसाला व् तला-भुना अधिक खाने से।
६-आधुनिक जीवन शैली में जंकफूड और बाजरू खान-पान से।
सावधानी और उपचार -
१-कच्ची अजवायन और देशी गुड़ एक चम्मच सम मात्रा में प्रातः और सायं गुन -गुना जल से लेना चाहिए।
२-अजवायन धुप में सुखाकर तथा इसका चूर्ण कर के ही इसी के बराबर गुड़ मिलाकर लेना चाहिए।
३-गुड़ गन्ने का हो और गुड़ पुराना हो तो अधिक अच्छा है।
४-इस औषधि के खाने के बाद ३०-मिनट तक कुछ भी आहार नहीं लेना चाहिए।
5-रात को सोते समय इस औषधि को लेना है।
६-सदैव आहार में फाइबर युक्त आहार लें।
७-भोजन के चार घंटे बाद गुन -गुना जल अवश्य पीना चाहिए।
८-आहार में तरल पेय का प्रयोग अधिक करें।
इस प्रकार के उपचार से कब्ज को दूर कर सकते हैं और पेट के अनेक रोगों के आने को रोक सकते हैं। पेट ख़राब तो, पूरा जीवन खराब होने से बच जाएगा।
९-२४ घंटे में बारहो महीने कम से कम ८ से १० गिलास जल अवश्य पीना चाहिए।
5-रात को सोते समय इस औषधि को लेना है।
६-सदैव आहार में फाइबर युक्त आहार लें।
७-भोजन के चार घंटे बाद गुन -गुना जल अवश्य पीना चाहिए।
८-आहार में तरल पेय का प्रयोग अधिक करें।
इस प्रकार के उपचार से कब्ज को दूर कर सकते हैं और पेट के अनेक रोगों के आने को रोक सकते हैं। पेट ख़राब तो, पूरा जीवन खराब होने से बच जाएगा।
९-२४ घंटे में बारहो महीने कम से कम ८ से १० गिलास जल अवश्य पीना चाहिए।


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