सदियों से लोग प्रातः उठकर सर्वे प्रथम शौच है उसके बाद दातुन करके ही अपने अन्य दैनिक कार्यो में लग जाते है। अब तो लोग तरह -तरह के टूथपेस्ट करने लगे है। जबकि टूथपेस्ट में सबसे खतरनाक रसायन 'सोडियम ल्यूरल सल्फेट ' मिला जिसके कारन टूथपेस्ट करने पर झाग अधिक उत्पन्न यह रसायन दन्त के कैंसर रोग को जन्म भी देता है। यदि इनसे बचाना है तो दातुन करने की ओर लोगो को बढ़ना ही होगा तभी दाँत और मसूड़े स्वस्थ रहेंगे। दातुन करने केलिए हमें क्रम से एक -एक निम्न दातुन करना चाहिए।
एक दिन कड़वी नीम की दातुन , दूसरे दिन बबुल की तीसरी शीशम की ,चौथी अमृत की पांचवी आवँला की, छठी क्रंच की , सातवीं गूलर या बरगद की और आम की दातुन यदि हम नित्य क्रमानुसार दातुन करे तो दन्त और मसूड़े निरोग रहेंगे तथा धन भी बहुत काम ब्यय होगा।
वज्रदंती की दातुन दांतो और मसूड़ों को मजबूत रखता है ,चिड़चिड़ा "अपामार्ग "की दातुन दातो पर पीला पन या गन्दा हो गया हो तो इसे करना चाहिए। यदि कुछ भी न मिले तो खड़ा सेंधा नमक १ ग्राम +शुद्ध खड़ी हल्दी चूर्ण १ग्राम +शुद्ध सरसों तेल 2 -4 बूंद मिला कर हलके हाथ से दाँतो की मालिश करें या इसी से दाँत साफ करें तो दाँत दर्द भी जाता है ,दाँत में कीड़े नहीं लगते ,और सदैव के लिए दाँत और मसूड़े निरोग रहते हैं। यदि देशी गाय या भैंस के कण्डे जलाकर उसकी राख से ही दाँत साफ करे तो भी अच्छा है। प्रतिदिन उपर्युक्त सब करने के साथ -साथ आहार लेने के बाद पानी से मुहँ अच्छी तरह साफ करना चाहिए। दातून करने के लिए यह भी ध्यान देना है कि दातून कम से कम अपने अँगुल से 12 अँगुल की हो और अपने हाथ की सबसे छोटी अँगुली 'कनिष्ठिका 'के जितनी मोटी होनी चाहिए।
एक दिन कड़वी नीम की दातुन , दूसरे दिन बबुल की तीसरी शीशम की ,चौथी अमृत की पांचवी आवँला की, छठी क्रंच की , सातवीं गूलर या बरगद की और आम की दातुन यदि हम नित्य क्रमानुसार दातुन करे तो दन्त और मसूड़े निरोग रहेंगे तथा धन भी बहुत काम ब्यय होगा।
वज्रदंती की दातुन दांतो और मसूड़ों को मजबूत रखता है ,चिड़चिड़ा "अपामार्ग "की दातुन दातो पर पीला पन या गन्दा हो गया हो तो इसे करना चाहिए। यदि कुछ भी न मिले तो खड़ा सेंधा नमक १ ग्राम +शुद्ध खड़ी हल्दी चूर्ण १ग्राम +शुद्ध सरसों तेल 2 -4 बूंद मिला कर हलके हाथ से दाँतो की मालिश करें या इसी से दाँत साफ करें तो दाँत दर्द भी जाता है ,दाँत में कीड़े नहीं लगते ,और सदैव के लिए दाँत और मसूड़े निरोग रहते हैं। यदि देशी गाय या भैंस के कण्डे जलाकर उसकी राख से ही दाँत साफ करे तो भी अच्छा है। प्रतिदिन उपर्युक्त सब करने के साथ -साथ आहार लेने के बाद पानी से मुहँ अच्छी तरह साफ करना चाहिए। दातून करने के लिए यह भी ध्यान देना है कि दातून कम से कम अपने अँगुल से 12 अँगुल की हो और अपने हाथ की सबसे छोटी अँगुली 'कनिष्ठिका 'के जितनी मोटी होनी चाहिए।
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