बुखार में सावधानी और उपचार -1 -बुखार होने पर पूर्णतः आराम करना चाहिए।बुखार एक ऐसा रोग है जो किसी भी मौसम में और कभी भी किसी को भी हो सकता है। बुखार हमें एक ही कारण से नहीं आते हैं। बुखार होने के कई कारण हैं ,जैसे मौसम का परिवर्तन होना ,गर्म या ठंडा पेय एक साथ क्रम से पी लेना ,आहार या रहन -सहन में गर्म-ठंडा का होना ,जिस आहार की तासीर ठंडी हो उसे प्रातः ही खा लेना ,फल खा लेने के बाद तुरंत ही जल पी लेना ,आदि। एक तरह से देखा जाय तो बुखार एक नहीं अनेक कारण हैं। जब बुखार होता है तो इसके जो सामान्य लक्षण हैं वह लगभग-लगभग लोगों को पता भी होता है। यद्यपि बुखार कई कारण से और कई प्रकार के होते हैं ,परन्तु यहां पर सामान्य बुखार का उपचार कैसे किया जाय उसके संदर्भ में कुछ सरल उपाय करके हम बुखार को दूर कर सकते हैं।
2 -जब शरीर का ताप बढ़ा हो तो खुली हवा में नहीं रहना चाहिए।
3 -बुखार होने पर स्वयं को चादर से तब तक ढकें जब तक कि पसीना न हो
जाय और माथे पर एक सूती कपड़ा जल में भीगा कर तथा निचोड़ कर
रखें। इस प्रकार से बार-बार माथे पर लगभग 20 मिनट तक कपड़ा रखें।
4 -प्रति एक घंटे पर जल में कपड़ा निचोड़ कर माथे पर रखें फिर कपड़ा
हटाएँ और फिर निचोड़ कर रखें। यह क्रिया बार-बार दोहराना चाहिए।
5 -आस -पास मिलने वाला पीपल का पत्ता लेकर अपनी कलाई पर नीचे
की तरफ से एक धागे से बांध दें।
6 -पीपल का पत्ता दोनों कलाई पर बांधना है।
7 -पीपल का पत्ता मुलायम न हो अपितु थोड़ा कड़ा वाला पत्ता होना
चाहिए।
8 -जब पत्ता 30 मिनट से एक घंटे तक कलाई पर लगा रहेगा तो ज्यों -
ज्यों बुखार उतरेगा त्यों -त्यों पत्ता कड़ा होगा ,जब पत्ता कड़ा हो जाय
तो उसे उतारकर फेंक दें और पुनः इसी प्रकार से पता कलाई पर लगाते रहें। 9 -यदि इस प्रकार से एक -एक घंटे के अंतराल पर कलाई पर पीपल का
पता लगाया जाय तो 3 -4 बार लगाने पर ही सामान्य बुखार ख़त्म होगा।
10 -यह क्रिया तब तक कर सकते हैं जब तक बुखार चला न जाय।
11 -बुखार ख़त्म होने पर 2 -3 दिन यह क्रिया सबेरे और सायं केवल करें।
12 -यह क्रिया केवल सामान्य बुखार के लिए है।
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