आज का आहार ही हमें रोगी बनाता है। हम चाहे जिस प्रकार से भी शुद्धता रूपी आहार लेने का प्रयास करें लेकिन हमें शुद्ध आहार मिल नहीं पा रहा है,फिर भी लोग अंधाधुन जो कुछ भी मिलता है खाये जा रहे हैं। लोग किसी के कारण रोगी नहीं बनते हैं बल्कि अपनी जीवन शैली इस प्रकार बना लेते हैं कि बिना आमन्त्रित किये अतिथि की तरह अनेक रोग आकर लोगों को घेर लेता है। सर्वाधिक व्यक्ति अनेक रोगों में पेट रोग से सबसे पहले अधिक परेशान होते हैं। यदि पेट रोग हो जाय तो अनेक रोगों के साथ शरीर को इतना बर्बाद कर देता है कि युवापन जैसे बूढ़ा सा हो जाता है। पेट रोगों में आंत सूजन ,कोलाइटिस ,म्यूकस कोलाइटिस ,इब्स [आई बी एस ]अमाशय रोग ,लिवर का रोग ,आदि पेट में अनेक रोग उतपन्न होते हैं। लोग जब चाहें ,जो चाहें खाने लगते हैं
इसलिए उदर रोग का जन्म होता है। घर में बना आहार तो शुद्धता से मिलता नहीं है और बाजार के आहार पर
लोग अधिक जोर देते हैं। अनिमित आहार और अनियमित जीवनशैली से जब अपच और फिर यही मंदाग्नि के
रूप में भयंकर रोग जन्म ले लेता है तो पेट के अनेक रोगों का अकस्मात वज्रपात होता है। इन्हीं रोगों में जीर्ण ,अजीर्ण जैसे रोग होकर अनेक पेट रोग का प्रारम्भ कर देते हैं।
यदि पेट का कोई भी रोग हो तो सबसे पहले रोग के अनुसार चिकित्सा करनी चाहिए और हो सके तो अपने आहार का संतुलन अवश्य रखें। जैसे कि बाहर का आहार से परहेज करें। तला-भुना आहार न लें। गरिष्ट आहार न लें। चिकना और तैलीय आहार न लें।
पेट का कुछ भी रोग हो तो उसकी निम्न विधि से चिकित्सा करें -
मदार का फूल और सेंधा नमक तथा कालीमिर्च से बनी औषधि का प्रयोग बहुत लाभकारी है।
औषधि कैसे बनाएं -
मदार फूल -बहुतायत में मिलने वाला सफेद मदार का एक पुष्प लेकर उसे स्वच्छ कपडे से हल्का -हल्का पोंछ कर और अपने मुँह के फूंक से फूँक -फूँक कर पुष्प में रहने वाला सफेद कीड़ा जो सुई के नोंक के बराबर होता है उसे निकाल दें। यह कीड़ा सरलता से निकलता नहीं है ,इसलिए बहुत ध्यानपूर्वक इसे फूँक -फूँक कर ही निकालना चाहिए। जब कीड़ा निकल जाय तो इसे साफ़ पात्र में रख दें।
मदार फूल रखने में सावधानी -1 -मदार फूल को धूप नहीं लगनी चाहिए।2 - इसका पुष्प पानी से बचाना चाहिए और किसी भी प्रकार से लोहे के पात्र या लोहे से इसका सम्पर्क न हो।३ - इस फूल को पंखे की हवा से भी बचाना चाहिए।
कालीमिर्च की मात्रा -एक मदार फूल के साथ दो कालीमिर्च का दाना चाहिए।
सेंधा नमक की मात्रा -सेंधा नमक स्वादनुसार या कालीमिर्च के दो दानों के बराबर ही लेना चाहिए।
प्रक्रिया एक -सफेद मदारफूल और सेंधा नमक तथा कालीमिर्च उपर्युक्त मात्रा के अनुसार लेकर तीनों एक साथ सील -बट्टे से खूब महीन पीस कर किसी पात्र में रख कर चना के बराबर गोली बना लें।
प्रक्रिया दो -गोली बनाकर छाया में सूखा लें और जब तीन -चार दिन में अच्छी तरह सुख जाय तब उपयोग करें।
सावधानी -मदार का फूल पीसने में पानी से नहीं पीसना है।
2 -फूल +सेंधा नमक +मरीच को पीसकर जब गोली बनालें तो छाया में सुखाएं और लकड़ी की चौड़ी पट्टी पर साफ़ कागज बिछाकर ही उस पर गोली रखकर सुखाएं।
3 -तीनों औषधि एक साथ पीसना है और लोहे का चम्मच या चाकू अथवा किसी भी लोहा से सम्पर्क न हो।
4 -मदार का एक फूल +दो मरीच का दाना +स्वादनुसार सेंधा नमक के अनुपात से ही औषधि बनाएं तथा इसी प्रकार से बनाकर कम से कम 30 दिन तक खाना है।
5 -मदार फूल सदैव ताजा तोड़ कर प्रयोग करें
6 -सदैव सफेद मदार फूल का ही प्रयोग करना चाहिए।
प्रतीदिन औषधि लेने की मात्रा - दो गोली प्रातः और दो गोली सायं को लेना है।
कब लें और कैसे औषधि लें -1 -दो गोली प्रातः खालीपेट या भोजन के तुरंत बाद लेना है। इसी प्रकार से सायं को
भी लेना है।
2 -यह औषधि कम से कम तीस दिन और अधिक -से अधिक तीन माह लेना है।
पेट रोग में आहार क्या लेना है -1 -चावल अच्छी तरह गलाकर ही खाएं।
2 -अपने आहार में फाइबर की मात्रा वाला आहार अधिक लें।
3 -जब तक यह औषधि चले तब तक एक समय में दो से तीन ही आहार लेना है ,जैसे रोटी -दाल या रोटी-दाल -सब्जी ,या चावल -दाल- सब्जी ,या चावल -दाल -रोटी।
4 -जिस भी फल का जूस सुपाच्य लगे वह जूस पीना चाहिए।
5 -अधिक से अधिक मठ्ठा का प्रयोग करें।
6 -जब तक बेल मिले तो बेल का रस पीएं या बेल गुदा का चूर्ण एक चम्मच प्रातः और एक चम्मच सायं लें।
7 -हल्का गुन -गुना जल सदैव पीना चाहिए।
8 -जौ+चना +गेहूं की रोटी सदैव खाना चाहिए।
9 -कच्चा सलाद न खाए।
10 -यदि अमरुद खाना है तो उसका बीज निकालकर खाएं तथा जब बीज सहित अमरुद खाने पर ढंग से पचने
लगे तब ही बीज सहित अमरुद खाएं।
11 -कच्चा साबूदाना भीगाकर चार चम्मच प्रतिदिन कच्चा ही खाएं।
निम्न रोगों में यह औषधि लाभकारी है -अमाशय शोथ ,आंत शोथ ,अपच ,जीर्ण ,आमाजीर्ण ,बवासीर ,कोलाइटिसः ,इरीटेबल बॉवेल सिंड्रोम [आई बी एस ]आदि।
परहेज -चीनी ,दूध ,घी नहीं खाना है और चीनी दूध घी से बना कोई उत्पाद भी नहीं खाना है।
2 -भोजन खूब गर्म नहीं खाना है 3 -भोजन खूब ठंडा भी नहीं खाना है। 4 -चाय- कॉफी एक दिन में
एक या दो कप ही लेना है। 5 -यदि दिन भर गुन -गुना जल न पी पायें तो कम से कम प्रातः सोकर जागने पर
दो गिलास जल अवश्य पीएं। रात को सोते समय भी कम से कम एक गिलास गुन -गुना जल अवश्य पीना है।
6 -कोल्ड्रिंक बिलकुल नहीं पीना चाहिए। 7 -अल्कोहल या धूम्रपान का उपयोग बिल्कुल निषिद्ध है।
इसलिए उदर रोग का जन्म होता है। घर में बना आहार तो शुद्धता से मिलता नहीं है और बाजार के आहार पर
लोग अधिक जोर देते हैं। अनिमित आहार और अनियमित जीवनशैली से जब अपच और फिर यही मंदाग्नि के
रूप में भयंकर रोग जन्म ले लेता है तो पेट के अनेक रोगों का अकस्मात वज्रपात होता है। इन्हीं रोगों में जीर्ण ,अजीर्ण जैसे रोग होकर अनेक पेट रोग का प्रारम्भ कर देते हैं।
यदि पेट का कोई भी रोग हो तो सबसे पहले रोग के अनुसार चिकित्सा करनी चाहिए और हो सके तो अपने आहार का संतुलन अवश्य रखें। जैसे कि बाहर का आहार से परहेज करें। तला-भुना आहार न लें। गरिष्ट आहार न लें। चिकना और तैलीय आहार न लें।
पेट का कुछ भी रोग हो तो उसकी निम्न विधि से चिकित्सा करें -
मदार का फूल और सेंधा नमक तथा कालीमिर्च से बनी औषधि का प्रयोग बहुत लाभकारी है।
औषधि कैसे बनाएं -
मदार फूल -बहुतायत में मिलने वाला सफेद मदार का एक पुष्प लेकर उसे स्वच्छ कपडे से हल्का -हल्का पोंछ कर और अपने मुँह के फूंक से फूँक -फूँक कर पुष्प में रहने वाला सफेद कीड़ा जो सुई के नोंक के बराबर होता है उसे निकाल दें। यह कीड़ा सरलता से निकलता नहीं है ,इसलिए बहुत ध्यानपूर्वक इसे फूँक -फूँक कर ही निकालना चाहिए। जब कीड़ा निकल जाय तो इसे साफ़ पात्र में रख दें।
मदार फूल रखने में सावधानी -1 -मदार फूल को धूप नहीं लगनी चाहिए।2 - इसका पुष्प पानी से बचाना चाहिए और किसी भी प्रकार से लोहे के पात्र या लोहे से इसका सम्पर्क न हो।३ - इस फूल को पंखे की हवा से भी बचाना चाहिए।
कालीमिर्च की मात्रा -एक मदार फूल के साथ दो कालीमिर्च का दाना चाहिए।
सेंधा नमक की मात्रा -सेंधा नमक स्वादनुसार या कालीमिर्च के दो दानों के बराबर ही लेना चाहिए।
प्रक्रिया एक -सफेद मदारफूल और सेंधा नमक तथा कालीमिर्च उपर्युक्त मात्रा के अनुसार लेकर तीनों एक साथ सील -बट्टे से खूब महीन पीस कर किसी पात्र में रख कर चना के बराबर गोली बना लें।
प्रक्रिया दो -गोली बनाकर छाया में सूखा लें और जब तीन -चार दिन में अच्छी तरह सुख जाय तब उपयोग करें।
सावधानी -मदार का फूल पीसने में पानी से नहीं पीसना है।
2 -फूल +सेंधा नमक +मरीच को पीसकर जब गोली बनालें तो छाया में सुखाएं और लकड़ी की चौड़ी पट्टी पर साफ़ कागज बिछाकर ही उस पर गोली रखकर सुखाएं।
3 -तीनों औषधि एक साथ पीसना है और लोहे का चम्मच या चाकू अथवा किसी भी लोहा से सम्पर्क न हो।
4 -मदार का एक फूल +दो मरीच का दाना +स्वादनुसार सेंधा नमक के अनुपात से ही औषधि बनाएं तथा इसी प्रकार से बनाकर कम से कम 30 दिन तक खाना है।
5 -मदार फूल सदैव ताजा तोड़ कर प्रयोग करें
6 -सदैव सफेद मदार फूल का ही प्रयोग करना चाहिए।
प्रतीदिन औषधि लेने की मात्रा - दो गोली प्रातः और दो गोली सायं को लेना है।
कब लें और कैसे औषधि लें -1 -दो गोली प्रातः खालीपेट या भोजन के तुरंत बाद लेना है। इसी प्रकार से सायं को
भी लेना है।
2 -यह औषधि कम से कम तीस दिन और अधिक -से अधिक तीन माह लेना है।
पेट रोग में आहार क्या लेना है -1 -चावल अच्छी तरह गलाकर ही खाएं।
2 -अपने आहार में फाइबर की मात्रा वाला आहार अधिक लें।
3 -जब तक यह औषधि चले तब तक एक समय में दो से तीन ही आहार लेना है ,जैसे रोटी -दाल या रोटी-दाल -सब्जी ,या चावल -दाल- सब्जी ,या चावल -दाल -रोटी।
4 -जिस भी फल का जूस सुपाच्य लगे वह जूस पीना चाहिए।
5 -अधिक से अधिक मठ्ठा का प्रयोग करें।
6 -जब तक बेल मिले तो बेल का रस पीएं या बेल गुदा का चूर्ण एक चम्मच प्रातः और एक चम्मच सायं लें।
7 -हल्का गुन -गुना जल सदैव पीना चाहिए।
8 -जौ+चना +गेहूं की रोटी सदैव खाना चाहिए।
9 -कच्चा सलाद न खाए।
10 -यदि अमरुद खाना है तो उसका बीज निकालकर खाएं तथा जब बीज सहित अमरुद खाने पर ढंग से पचने
लगे तब ही बीज सहित अमरुद खाएं।
11 -कच्चा साबूदाना भीगाकर चार चम्मच प्रतिदिन कच्चा ही खाएं।
निम्न रोगों में यह औषधि लाभकारी है -अमाशय शोथ ,आंत शोथ ,अपच ,जीर्ण ,आमाजीर्ण ,बवासीर ,कोलाइटिसः ,इरीटेबल बॉवेल सिंड्रोम [आई बी एस ]आदि।
परहेज -चीनी ,दूध ,घी नहीं खाना है और चीनी दूध घी से बना कोई उत्पाद भी नहीं खाना है।
2 -भोजन खूब गर्म नहीं खाना है 3 -भोजन खूब ठंडा भी नहीं खाना है। 4 -चाय- कॉफी एक दिन में
एक या दो कप ही लेना है। 5 -यदि दिन भर गुन -गुना जल न पी पायें तो कम से कम प्रातः सोकर जागने पर
दो गिलास जल अवश्य पीएं। रात को सोते समय भी कम से कम एक गिलास गुन -गुना जल अवश्य पीना है।
6 -कोल्ड्रिंक बिलकुल नहीं पीना चाहिए। 7 -अल्कोहल या धूम्रपान का उपयोग बिल्कुल निषिद्ध है।
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