गर्मी का मौसम आते ही भारत में छोटे -बड़े ,धनी-निर्धन सबका एक सुलभ और सस्ता आहार के रूप में यदि कुछ याद आता है तो वह है सत्तू।सत्तू को सामान्य रूप से पुरे भारत में बहुत चाव के साथ खाया-पीया जाता है ,किन्तु उत्तर भारत के उत्तर प्रदेश ,विहार ,मध्यप्रदेश आदि राज्यों में गर्मी के दिनों में इसका विशेष महत्त्व है।
उत्तर भारत के लोग जहाँ -जहाँ भी गए, सत्तू को मिलबांटकर खाने -पीने की संस्कृति को आज भी अक्षुण बनाये हुए हैं। सत्तू से तरह-तरह के व्यंजन भी बनाये जाते हैं। सत्तू कई प्रकार का होता है और कई प्रकार से उपभोग भी किया जाता है। सत्तू गर्मी के दिनों में हमारे स्वास्थ्य के लिए किस प्रकार से लाभ करता है उसे निम्न बिन्दुओं से समझते हैं।
सत्तू
सत्तू सात प्रकार का -सत्तू को लोग केवल चना और जौ का ही सत्तू अधिक समझते हैं। सत्तू शब्द ही बताता है कि सत्तू का अर्थ सात प्रकार का सत्तू है। जौ का सत्तू ,चना का सत्तू ,मटर का सत्तू ,रहर का सत्तू ,मक्का का सत्तू ,बजड़ी का सत्तू ,मूंग का सत्तू आदि। इस प्रकार से सात अन्न से मिलकर ही जो सत्तू बनता है सही अर्थों में वही सत्तू है।
सात प्रकार के सत्तू की मात्रा -सत्तू बनाने के लिए हमें जिस सात प्रकार के अन्न की आवश्यकता होती है उन अन्न में सबकी मात्रा कितनी -कितनी हो यह भी महत्त्वपूर्ण है। भुना चना का सत्तू दो चम्मच ,भुना जौ का सत्तू तीन चम्मच ,मटर का सत्तू एक चम्मच ,रहर का सत्तू एक चम्मच, बजड़ी का सत्तू एक चम्मच ,मक्का का सत्तू एक चम्मच ,मूँग का सत्तू एक चम्मच ,सब एक साथ अच्छी तरह मिलाकर अब जो मात्रा सत्तू की तैयार होगी यह सत्तू की सही मात्रा है। सभी अन्न अच्छे प्रकार से भुना हो एवं महीन पिसा हो तो अधिक अच्छा है।
सातों अन्न का गुण -------------
सत्तू में जो सातों अन्न मिलाकर सत्तू बनया जाता है उसमें प्रत्येक अन्न का अपना अलग-अलग गुण है। जौ का सत्तू शरीर को शीतलता प्रदान करता है और सुपाच्य है तथा मल त्याग में सहयोग करता है। सत्तू हमारी प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाता है।
चना का सत्तू पेट के लिए अधिक लाभकारी है एवं पाचक भी है।
मटर के सत्तू में भी पोषणता है।
रहर का सत्तू शरीर की पोषणता एवं प्रोटीन की आवश्यकता को पूरा करता है।
बजड़ी का सत्तू शरीर के लगभग सभी पोषक तत्वों की पूर्ति करने के साथ पाचक एवं कब्ज को दूर करता है।
मक्का का सत्तू पाचक एवं पेट को साफ़ रखता है।
मुंग का सत्तू पेट के लिए अधिक सपाच्य है एवं अधिक पोषक भी है।
नोट ----सभी सत्तुओं में और भी अधिक से अधिक गुण हैं किन्तु इन सातों अन्नों के साथ मिलाकर जो सत्तू बनेगा वह सबसे उत्तम सत्तू है।इन सभी सत्तू में केवल चना का या जौ का अथवा जौ और चना का सत्तू ही अलग से उपयोग कर सकते हैं।
सत्तू खाने पीने का नियम --------------------https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B8%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%A4%E0%A5%82
- सत्तू को कभी भी खाना नहीं चाहिए (गूँथ कर )
- सत्तू को सदैव घोलकर कर पीना चाहिए।
- खाली पेट भी सत्तू पीया जा सकता है।
- खाने के कम से कम चार घंटे बाद ही सत्तू पीना चाहिए।
- सत्तू में हरी धनियाँ ,हरी मिर्च ,प्याज ,अदरख ,भुना जीरा ,आम-पुदीना की चटनी ,काला नमक ,सेंधा नमक ,सादा नमक ,कच्चा सिरका एवं हींग के साथ मिलाकर पीना चाहिए।
- पाँचवें नंबर की सभी सामग्री आवश्यकतानुसार एक-एक-चुटकी तथा सिरका एक चम्मच व हींग रहर के दाने के बराबर लेना है ,यह मात्रा एक गिलाश पानी के लिए है।
- सत्तू में सभी सामग्री क्रम से मिलाकर यदि मथनी से मथ कर लें तो अधिक अच्छा है।
- 24 घंटे में सत्तू यदि दोनों समय पीना है तो कम से कम 8 घंटे का अंतराल हो या सत्तू जब पच जाय तभी पुनः सत्तू पीएं।
- दोनों समय सत्तू की मात्रा 100 ग्राम से अधिक न हो।
- सिरका और हींग सत्तू में मिलाकर या सत्तू पीने के बाद भी ले सकते हैं।
- यदि सत्तू में नीबू रस डालना चाहें तो एक चम्मच डाल सकते हैं।
- सत्तू यदि गुड़ के साथ खाना है तो गुड़ के साथ गूँथ कर और पानी मिलाकर खाएं।
- सत्तू पीने के कम से कम डेढ़ घंटे बाद ही पानी पीएं।
- सत्तू जब पच पूरी तरह पच जाय तभी दूसरा आहार लेना चाहिए।
- सत्तू भारी होता है इसलिए अपनी पाचक क्षमता के अनुसार ही सत्तू खाएं या पीएं।
विशेष -------------------------
पूरे गर्मी के मौसम भर चाहें तो केवल सत्तू पर ही निर्भर रहें ,क्यों कि सत्तू शरीर के समस्त पोषक तत्वों की पूर्ति करता है। सत्तू शरीर को पूर्ण ऊर्जा प्रदान करता है।
सत्तू में क्रम संख्या 5 के सामानों का विशेष महत्त्व -----------------------
1 -हरी धनियाँ सत्तू में इसलिए डालते हैं कि यह पाचन का कार्य करती है।
2 -हरी मिर्च से थोड़ा तीखा एवं विटामिन सी की पूर्ति होती है।
3 -प्याज इसमें इसलिए डालते हैं कि प्याज वात का नाश करता है।
4 -सत्तू में अदरख डालने का अर्थ इतना ही है कि यह भूख की अगिनि को तीव्र करती है।
5 -जीरा सत्तू में डालने से हल्का और पाचक का कार्य करने के साथ भूख की वृद्धि भी करता है।
6 -कच्चा आम अतिसार और प्रमेह को दूर करता है इसलिए आम को भी डालते हैं।
7 -पुदीना ठंडा होने के साथ पाचन क्रिया को सुधारता है और उल्टी को रोकता है।
8 -काला नमक पेट में मल को सड़ने से रोकता है और दूषित गैस को बाहर करने में अधिक सहयोग करता है एवं भारी आहार को पचाने में भी अधिक कार्य करता है।
9 -सत्तू में सेंधा नमक डालने से ब्लडप्रेशर को नियंत्रित करने में सहयोग करता है।
10 -सादा नमक आयोडीन की कमी को होने से रोकता है और पाचक भी है।
11 -सिरका पाचक भी है और मन्दाग्नि को दूर करके भूख की वृद्धि करता है।
12 -हींग पेट में दर्द या पेट में गैस एवं अजीर्ण को दूर तो करती ही है लेकिन आहार को पचाने के साथ ही पेट में यदि कीड़ी हो तो उसे भी हींग नष्ट कर देती है।
13 -कुछ लोग सत्तू में गुड़ का प्रयोग करते हैं क्यों कि गुड़ पॉवरबुस्टर है और आयरन का सबसे अच्छा श्रोत है ,और शरीर को अतिरिक्त ऊर्जा भी प्रदान करता है।
सावधानी ----------------------------
1 -सत्तू, को कभी भी चीनी के साथ न खाएं या पीएं
2 -सत्तू, को दूध में मिलाकर कभी न लें।
3 -सत्तू, अधिक रात हो जाने पर कभी न खाएं।
4 -सत्तू ,मीठा के साथ कम से कम और नमक के साथ अधिक उपयोग में लें।
5 -सत्तू सदैव घोलकर या मथकर पीएं।
सत्तू के अन्य उपयोग -------------------------
1 -सत्तू को बाटी में भरकर आलू और बैंगन के चोखा के साथ खाया जाता है।
2 -सत्तू को भरवाँ पूड़ी में भरकर कहते हैं।
3 -सत्तू का उत्तपम भी बनाकर खाया जाता है।
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